भौतिकवादी युग में विकास की सीढ़ियां चढ़ते-चढ़ते न जाने कितनी बार प्रकृति का दोहन किया जा रहा है। पर्यावरण से छेड़छाड़ का ही नतीजा है कि कहीं नदियां सूख रही हैं तो कहीं बाढ़ का प्रकोप, तुफान, बेमौसम बारिश, देश और दुनिया में अनेकों प्रकार की प्राकृतिक आपदाएं देखी और सुनी जा रही हैं। इन सभी आपदाओं का मानव जीवन में नकारात्मक प्रभाव पड़ा है। ईश्वर ने धरती पर मौजूद जल, जंगल, जमीन मानव सभ्यता एवं जीवन के लिए एक ऐसा प्राकृतिक व्यवस्था के रूप में हमें दिया है जिसके माध्यम से हम सभी लोग अपना जीवन यापन करते हैं। इन प्राकृतिक संसाधनों से छेड़छाड़ अथवा इनका दोहन करना जीवन के लिए खतरे की घंटी है। उक्त बातें मुख्यमंत्री ने झारखंड विधान सभा परिसर स्थित सभागार में आयोजित 72वें वन महोत्सव कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहीं।

एक-दूसरे को उपहार स्वरूप बुके की जगह पौधा दें
मुख्यमंत्री ने कहा कि हमारे झारखंड प्रदेश को प्रकृति ने बहुमूल्य उपहार के रूप में जंगल-झाड़, नदी-झरने, प्राकृतिक सौंदर्य से संवारने का काम किया है। वन-जंगल से आच्छादित यह प्रदेश सिर्फ प्राकृतिक सौंदर्य के लिए ही नहीं जाना जाता है, बल्कि जमीन के ऊपर और जमीन के भीतर खनिज संपदा का भंडार भी हमें प्रकृति ने दिया है। मुख्यमंत्री ने कहा कि किसी भी कार्यक्रमों में लोग एक दूसरे को उपहार स्वरूप बुके देने का कार्य करते हैं, परंतु मेरा मानना है कि बुके की जगह क्यों न हम उपहार स्वरूप एक दूसरे को पौधा देने का काम करें एवं उस पौधे को संरक्षित करने का संकल्प लें।
मुख्यमंत्री ने रखा यह सुझाव
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन ने अपनी ओर से एक महत्वपूर्ण सुझाव रखा। मुख्यमंत्री ने कहा कि झारखंड विधान सभा परिसर में पौधारोपण कार्यक्रम का एक नया मॉडल बनाया जाए। यह विधान सभा परिसर 50-60 एकड़ भूमि में फैला हुआ है। उक्त भूमि के अंतर्गत एक फलदार वृक्ष का चुनाव कर लिया जाए और इस परिसर को बगीचा के रूप में विकसित किया जाए तो यह एक बहुत ही सकारात्मक और अच्छी पहल हो सकती है। रिसोर्सेज जनरेट कर विधान सभा परिसर को एक बेहतरीन बगीचा के रूप में विकसित कर आय का साधन बनाया जा सकता है। मुख्यमंत्री ने कहा कि विधान सभा परिसर को सजाने, संवारने और मेंटेनेंस में सरकार का लाखों रुपए खर्च होते हैं। क्यों न ऐसा मैकेनिज्म तैयार हो की बगीचा के फलों से इतनी राशि उपलब्ध हो सके की इस परिसर का पूरा मेंटेनेंस कार्य हो सके। मुख्यमंत्री ने कहा कि झारखंड विधान सभा देश का पहला ऐसा विधान सभा बने जिसका मेंटेनेंस उसके अपने बगीचे के फंड से हो।

पर्यावरण संतुलन समय की मांग – रबीन्द्रनाथ महतो
इस अवसर पर कार्यक्रम को संबोधित करते हुए झारखंड विधानसभा अध्यक्ष रबींद्र नाथ महतो ने कहा कि वर्तमान समय में पर्यावरण संकट मानव सभ्यता के बीच उभरकर आया है। पेड़ की खेती एक ऐसी खेती है जो पीढ़ी दर पीढ़ी चलती है। पेड़ की खेती को ग्रामीण अर्थव्यवस्था में आय का स्रोत माना जाता है। विधानसभा अध्यक्ष ने कहा कि मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन के सुझावों के अनुरूप निश्चित रूप से झारखंड विधान सभा परिसर में फलदार वृक्ष लगाने का कार्य किया जाएगा।
राज्य में बिरसा मुंडा हरित ग्राम योजना रिस्पांस सकारात्मक रहा
संसदीय कार्य मंत्री आलमगीर आलम ने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि पिछले वर्ष राज्य में बिरसा मुंडा हरित ग्राम योजना की शुरुआत की गई थी जिसका रिस्पांस अभी तक बहुत ही सकारात्मक रहा है। उन्होंने प्रत्येक व्यक्ति से पेड़ लगाने की अपील की।
मौके पर झारखंड विधान सभा परिसर में विधानसभा अध्यक्ष रबींद्र नाथ महतो, मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन, मंत्री आलमगीर आलम, मंत्री मिथिलेश कुमार ठाकुर, मंत्री बादल पत्रलेख, लम्बोदर महतो, दीपिका पांडे सिंह, अनूप सिंह, ममता देवी आदि मौजूद थे ।