बालु तस्करी बना खुनी खेल , दो माह में दो चालकों की दुर्घटना में हुई मौत
उज्जवल दुनिया संवाददाता: चौपारण। जिले में बालु घाटों का घोर अभाव है। लिहाजा बालु की किल्लत चहुंओर है। निर्माण संबंधी सभी कार्य बालु के अभाव में स्थगित रहते हैं। हालांकि समानांतर रुप से यह भी सच है कि घाट पहले भी नहीं थे। बावजूद बडे आराम से बालु की आपूर्ति बेहद रियायती दर पर आमजनों को मिलता था। औसतन एक ट्रैक्टर बालु हजार से बारह सौ रुपए में सुलभ था। जब यह उपलब्धता थी तो बालु की कमी नहीं होती थी। साथ ही प्रशासन के विभिन्न अंगों द्धारा इस व्यवस्था में कोई छेड़छाड़ भी नहीं किया जाता था। लेकिन बीते दो साल से बालु की कीमत में अप्रत्याशित वृद्धि हुई है। वर्तमान में बालु प्रति ट्रैक्टर ढाई से तीन हजार रुपए मिलता है। एनजीटी के कारण बरसात के चार माह तक तो बालु चार हजार रुपए तथा अधिक मुल्य पर प्रति ट्रैक्टर से बेचा जाता है।
आमतौर पर नदियों से बालु फ्री उठाया जाता है। जहां जहां भी नदी है आमजन बालु उठाव को रोकते नहीं। इस काम से जुडे आपूर्तिकर्ता केवल मजदुरी तथा ट्रैक्टर भाडा लेते हैं। पूरा जोड़कर आठ सौ रुपए का खर्च आता है। यानि एक ट्रैक्टर बालु की आपूर्ति में दो हजार से अधिक का मुनाफा है। हर दिन सौ से अधिक ट्रैक्टर से बालु का उठाव विभिन्न इलाकों से किया जाता है। बडे मुनाफे के कारण बेहद चालाकी से मुट्ठी भर लोग पूरे रैकेट का संचालन कर रहे हैं। जब प्रशासन थोडा सख्त होता है तो आपूर्ति बंद कर कीमत को बढा दिया जाता है। सख्ती के बीच बालु उठाव कर आपूर्ति करने में बेहद कम उम्र के अप्रशिक्षित चालकों को लाया जाता है। ऐसे चालक बेहद तेज गति से चलते हैं जिससे दुर्घटना की संभावना रहती है। महज माह भर में दो चालक दुर्घटना के शिकार हुए तथा अल्पायु में मौत के शिकार हो गए। ट्रैक्टर के दस्तावेज भी पूरा रहता नहीं है। दोनों चालक बिहार के निवासी थे तथा ट्रैक्टर भी बिहार का था।
कहां कहां से होता है उठाव –
प्रखंड में प्रमुख आपूर्ति मयुरहंड के पेटातरी, ईटखोरी के मुहाने नदी, बिहार के भलुआ के साथ भगहर में बहने वाली तीन नदियों, दैहर, ताजपुर, चौपारण,चोरदाहा, रामपूर, चपरी के जंगलों के छोटे नालों नदियों से होती है। इन इलाकों से हर दिन भारी मात्रा में बालु उठाव होता है।
भगहर घाट की हुई थी अनुशंसा, वन विभाग ने जताई थी आपति
जिला प्रशासन द्वारा हर प्रखंड से बालु घाटों के लिए संबंधित नदी को लेकर अंचल से रिपोर्ट बीते वर्ष मांगा गया था। तत्कालीन प्रभारी सीओ प्रेमचंद सिन्हा ने भगहर नदी की अनुशंसा भी की। परंतु जिला स्तरीय बैठक में वन विभाग ने नदियों के वन प्रक्षेत्र में भौगौलिक रूप से पड़ने का हवाला देकर आपत्ति दर्ज किया गया। इससे भगहर में बालु घाट नहीं बन सका। अब उसी भगहर नदी,ढाढर नदी से हर दिन दर्जनों ट्रैक्टर से बालु लाकर बाजार में बेचा जा रहा है। परंतु न तो वन विभाग,न अंचल इस पर कोई रोक लगा पा रहा है।लिहाजा सस्ते दर पर बिकने वाला बालु तीन गुना अधिक दाम में खरीदा जा रहा है। इससे गरीब वर्ग के लोगों को घर बनाने में परेशानी हो रही है।
सीओ का बयान: संजय यादव ने कहा कि शिकायत मिलने पर कार्रवाई की जाती है। अभी हाल में ही ट्रैक्टर पकडा गया।