मेरठ में तैनात एनकाउंटर स्पेशलिस्ट मुनेश सिंह ने वृंदावन के संत प्रेमानंद से अपने अतीत के कर्मों का पश्चाताप करने का उपाय पूछा। उन्होंने कहा कि उन्होंने कई एनकाउंटर किए हैं और राष्ट्रपति से वीरता पदक भी प्राप्त किया है, लेकिन अब उन्हें अपने कार्यों को लेकर पछतावा हो रहा है।
मुनेश सिंह बुधवार को वृंदावन स्थित श्रीराधा केलिकुंज आश्रम पहुंचे, जहां उन्होंने संत प्रेमानंद से मुलाकात की। उन्होंने संत से हाथ जोड़कर पूछा, “अब तक किए गए एनकाउंटर का पश्चाताप कैसे करूं?”
संत प्रेमानंद ने उन्हें सलाह दी कि वे अपने जीवन से थोड़ा समय निकालकर भगवान की शरण में जाएं, प्रार्थना करें और आत्मशुद्धि का मार्ग अपनाएं। उन्होंने कहा, “मनुष्य जीवन का मूल कर्तव्य भगवत प्राप्ति है। सांसारिक कार्यों में उलझकर इसे भूल जाना सही नहीं है।”
मुनेश सिंह ने बताया कि पिछले साल 22 जनवरी को जब अयोध्या में श्रीराम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा हो रही थी, तब एक बदमाश से मुठभेड़ में उनके सीने में गोली लगी थी। ईश्वर की कृपा से वह बच गए, लेकिन अब उन्हें अपने कार्यों को लेकर गहरा पश्चाताप हो रहा है।
संत प्रेमानंद ने उन्हें समझाया कि यदि आपका मन आपको पश्चाताप करने को कह रहा है, तो भगवत प्राप्ति के लिए समय निकालें और प्रार्थना करें कि आपकी सेवाओं में जो चूक हुई हो, वह क्षमा हो जाए।
मुनेश सिंह की इस आध्यात्मिक यात्रा ने उनके भीतर एक नया दृष्टिकोण ला दिया, जिससे यह सवाल उठता है – क्या आध्यात्मिक मार्ग ही वास्तविक शांति की कुंजी है?