नई दिल्ली: रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) और भारतीय नौसेना ने स्वदेशी रूप से विकसित मल्टी-इन्फ्लुएंस ग्राउंड माइन (MIGM) का कम विस्फोटक के साथ सफल कॉम्बैट फायरिंग परीक्षण किया है। यह उपलब्धि भारत की पनडुब्बी रोधी युद्धक क्षमताओं को मजबूती प्रदान करती है।
इस अत्याधुनिक प्रणाली को नौसेना विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी प्रयोगशाला (NSTL), विशाखापट्टनम ने DRDO की अन्य प्रयोगशालाओं – हाई एनर्जी मटेरियल्स रिसर्च लैबोरेटरी, पुणे और टर्मिनल बैलिस्टिक्स रिसर्च लैबोरेटरी, चंडीगढ़ – के सहयोग से विकसित किया है।
MIGM को आधुनिक स्टील्थ जहाजों और पनडुब्बियों के खिलाफ भारतीय नौसेना की ताकत को बढ़ाने के लिए डिज़ाइन किया गया है। इसके निर्माण में भारत डायनामिक्स लिमिटेड, विशाखापट्टनम और अपोलो माइक्रोसिस्टम्स लिमिटेड, हैदराबाद को साझेदार बनाया गया है।
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने DRDO और भारतीय नौसेना को बधाई देते हुए कहा कि यह प्रणाली नौसेना की अंडरवाटर वॉरफेयर क्षमताओं को नई ऊंचाई प्रदान करेगी। DRDO के अध्यक्ष और रक्षा अनुसंधान एवं विकास विभाग के सचिव डॉ. समीर वी. कामत ने कहा कि इस परीक्षण के साथ प्रणाली अब भारतीय नौसेना में शामिल किए जाने के लिए तैयार है।
इससे पहले 3 मई को DRDO ने मध्य प्रदेश के श्योपुर ट्रायल साइट से स्ट्रैटोस्फेरिक एयरशिप प्लेटफॉर्म की पहली उड़ान का सफल परीक्षण भी किया था। यह प्रणाली उच्च गुणवत्ता वाले अर्थ ऑब्ज़र्वेशन और खुफिया निगरानी में क्रांतिकारी बदलाव लाएगी।

