कांग्रेसी विधायक मुझे धमकी देते रहे,मुझे बोलने नहीं दिया, मगर स्पीकर खामोश रहे
बोकारो जिले के चंदनकियारी से भाजपा विधायक अमर बाउरी ने स्पीकर रबीन्द्रनाथ महतो और सत्तापक्ष में शामिल कांग्रेस के कुछ विधायकों पर धमकी देने और जातिसूचक अपशब्द कहने के आरोप लगाए हैं। अमर बाउरी ने कहा कि विधानसभा सत्र के अंतिम दिन जब वो अपने कार्यस्थगन प्रस्ताव पर बोलने के लिए खड़े हुए तो कांग्रेस के कुछ विधायक मुझपर तरह-तरह के ताने कस रहे थे, उनमें से एक ने मुझे बाहर निकलने की धमकी दी, मेरी जाति को लेकर, मेरे दलित होने को लेकर खिल्ली उड़ाते हुए ठहाके लगाए गये।अमर बाउरी ने उज्ज्वल दुनिया के प्रधान संपादक पंकज प्रसून से खास बातचीत की। पेश के उस बातचीत के प्रमुख अंश

प्रश्नः- आज सदन में ऐसा क्या हुआ जिसके कारण आप रोते हुए बाहर निकले ?
अमर बाउरीः– ये एक दिन का अपमान नहीं है । मैं पिछले तीन दिनों से विधानसभा के अंदर बोलने की कोशिश कर रहा था। जब भी मैं स्पीकर से इजाजत मांगता वो हंस कर दूसरी ओर देखने लगते। मैंने अंतिम दिन कार्यस्थगन प्रस्ताव लाया। लेकिन मुझए नियम का हवाला देकर बोलने नहीं दिया गया। अरे! मेरे कार्यस्थगन को मानना या न मानना स्पीकर का अधिकार है। लेकिन मुझे अपनी बात रखने तो देते ? मैं हाथ जोड़कर उनसे गुजारिश करता रहा, मैंने अपना गला पकड़कर उनसे पूछा कि मैं विधायक हूं या नहीं ? मुझे इस सदन में बोलने का अधिकार भी है या नहीं ? क्या मेरा गुनाह बस इतना है कि मैंने दलित परिवार में पैदा लिया ?
प्रश्नः- इसमें दलित की बात कहां से आ गई ?
अमर बाउरीः- कैसे नहीं कहूं कि अनुसूचित जाति का होने की वजह से मुझे नहीं बोलने दिया गया ? जब मैं बोलने के लिए कड़ा होता तो कांग्रेस की ओर से खिल्ली उड़ाई जाती है। मुझे बाहर जाने की धमकी दी जाती है। आप ही बताइए कि आज कांग्रेस का कार्यकारी अध्यक्ष बने बंधु तिर्की ने मेरे रंग को लेकर भद्दा कमेन्ट किया था। मुझे “साउथ का गुंडा” कहा गया. लेकिन क्या कांग्रेस पार्टी से जुड़े किसी भी सदस्य ने इसपर खेद जताया ? क्या कांग्रेस के किसी नेता ने कहा कि रंग को लेकर या जाति को लेकर इस तरह की टिप्पणी गलत है ?
प्रश्नः सिर्फ इसी घटना के कारण आपने उनको सामंतवादी सोच का बता दिया ?
अमर बाउरीः- एक नहीं, मैं कांग्रेस के सामंतवादी सोंच के सैंकड़ो उदाहरण दे सकता हूं । इनलोगों ने हमेशा दलितों को अपने पांव की धूल समझा है, दलितों को सिर्फ वोटबैंक के लिए इस्तेमाल किया। आजादी के बाद से कांग्रेस कभी नहीं चाहती थी कि दलितों में भी नेतृत्व उभरे। वे इनसे सवाल कर सकें, आंखों में आंखें डालकर बात कर सके। ये लोग सिर्फ अच्छी-अच्छी बातें कर दलितों का वोट लेना चाहते थे। जबसे मोदी जी की सरकार बनी है, तब केन्द्र में सबसे ज्यादा दलित और आदिवासी मंत्री बनाए गये. इनलोगों के कष्ट का असली कारण यही है।
प्रश्नः- तो क्या आप कहना चाहते हैं कि स्पीकर रबीन्द्रनाथ महतो पक्षपात कर रहे हैं ?
अमर बाउरीः- ये मैं नहीं कह रहा। आपलोग खुद फैसला किजिए कि क्या सत्ता पक्ष और विपक्ष के प्रति उनका व्यवहार एक समान है ? क्या उन्होने सत्तापक्ष के इशारे पर बिना किसी से मशवरा किए नमाज के लिए अलग रूम का आवंटन नहीं किया ? इसके लिए नोटिस तक निकाल दिया। स्पीकर बताएं कि संविधान की किस धारा में लिखा है कि विधानसभा के अंदर किसी खास मजहब के पूजा करने के लिए जगह आरक्षित होगी ?
प्रश्नः लेकिन सत्तापक्ष ने तो परंपरा का हवाला दिया है। उनका दावा है कि मुख्यमंत्री रहते बाबूलाल मरांडी ने भी नमाज के लिए अलग कमरे की व्यवस्था की थी ?
अमर बाउरीः- परंपरा और आपसी सहमति एक बात है और उसके लिए ऑफिशियल नोटिफिकेशन निकालना दूसरी बात . क्या बाबूलाल मरांडी की सरकार ने नोटिफिकेशन जारी किया था ? अगर मैं इंसानियत के नाते किसी को पूजा करने की जगह देता हूं तो वो मेरा निजी फैसला हो सकता है, लेकिन जब मैं संवैधानिक पद पर बैठ कर उसका नोटिफिकेशन निकलवा कर इजाजत देता हूं तो फिर इसपर कानूनी और संवैधानिक सवाल होंगे ही। कल को इसी चिट्ठी का आधार बनाकर कोई कह सकता है कि ये उसका संवैधानिक हक है. आप भविष्य में इसके दुष्परिणाम की ओर नहीं देख पा रहे ।
अंतिम प्रश्नः- अब आगे क्या करेंगे आप ?
अमर बाउरीः- मैं इस सवाल को हर स्तर पर उठाउंगा। इस राज्य के दलित समाज के बीच जाउंगा । झारखण्ड के दलितों को फैसला करना है कि क्या उनको बराबरी का अधिकार नहीं है ? इस राज्य की दलित जनता को सोचना है कि 13-14 फीसदी आबादी होते हुए भी उनकी आवाज क्यों दबाई जाती है ? अनुसूचित जाति के लोगों के प्रति कांग्रेस के जहन में जो जहर भरा है, उसे सबके सामने लाना चाहता हूं ।

