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डिप्लोमैटिक आउटरीच का कांग्रेस ने समर्थन किया, लेकिन केंद्र पर राजनीति करने का आरोप लगाया

नई दिल्ली, 18 मई 2025: कांग्रेस ने ‘मिशन सिंदूर’ के तहत विदेशों में भेजी जा रही सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल योजना का समर्थन तो किया, लेकिन इसके लिए सुझाए गए चार नामों में से केवल एक को शामिल किए जाने और तीन नए नामों को केंद्र द्वारा मनमाने ढंग से जोड़ने को लेकर नाराज़गी जताई है।

पार्टी ने कहा कि राष्ट्रीय एकता को ध्यान में रखते हुए वह केंद्र की इस कूटनीतिक पहल का समर्थन कर रही है, लेकिन साथ ही 22 अप्रैल को हुए पहलगाम आतंकी हमले और उसकी पृष्ठभूमि पर संसद का विशेष सत्र बुलाने की मांग भी जारी रखेगी।

शुक्रवार सुबह संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी से बात कर चार सांसदों के नाम मांगे। राहुल गांधी ने दोपहर में आनंद शर्मा, गौरव गोगोई, डॉ. सैयद नसीर हुसैन और अमरिंदर राजा ब्रार के नाम भेजे।

हालांकि, शनिवार शाम जब प्रतिनिधिमंडल की सूची जारी हुई, तो उसमें केवल आनंद शर्मा का नाम था। बाकी तीन नामों को हटाकर केंद्र ने सलमान खुर्शीद, मनीष तिवारी और अमर सिंह को शामिल कर लिया, जिससे कांग्रेस खासी नाराज़ हुई।

पार्टी सूत्रों के मुताबिक, सलमान खुर्शीद ने हाईकमान से स्पष्ट किया कि वह केवल पार्टी की अनुमति से ही जाएंगे। वहीं, शशि थरूर का नाम भी एक दल के प्रमुख के रूप में शामिल किया गया, जबकि पार्टी ने उनका नाम नहीं भेजा था। इसने भी कांग्रेस में चर्चा को जन्म दिया।

एआईसीसी सचिव चंदन यादव ने कहा, “सरकार ने राहुल गांधी से चार नाम मांगे लेकिन तीन को अस्वीकार कर दिया और खुद नाम जोड़ दिए। यदि सरकार को खुद ही नाम तय करने थे तो नेता प्रतिपक्ष से नाम मांगने की जरूरत ही क्या थी? यह लोकतांत्रिक परंपराओं का उल्लंघन है।”

पूर्व सांसद संदीप दीक्षित ने कहा कि “हर प्रतिनिधिमंडल के सदस्य को सरकार की स्थिति ही पेश करनी होती है, तो फिर नामों को अस्वीकार करने या जोड़ने की जरूरत ही क्या थी? ऐसा करना संवेदनशील मुद्दे पर राजनीति करना है।”

दीक्षित ने कहा कि केंद्र को ध्यान रखना चाहिए कि यह डिप्लोमैटिक प्रयास कश्मीर मुद्दे पर नहीं, बल्कि पाक प्रायोजित आतंकवाद पर केंद्रित होना चाहिए।

“कांग्रेस ने संयम बरता है और इस डिप्लोमैटिक पहल का समर्थन किया है, लेकिन हम सरकार से प्रासंगिक सवाल पूछते रहेंगे — जैसे पहलगाम हमले में मारे गए 26 पर्यटकों के हत्यारों की पहचान और सजा, और ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के बाद अचानक संघर्षविराम कैसे हुआ, खासकर जब कहा जा रहा है कि अमेरिकी हस्तक्षेप के कारण यह हुआ,” दीक्षित ने कहा।

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