बाबूलाल मरांडी ने कहा कि देवघर में बन रहा एम्स और एयरपोर्ट को प्रशासनिक दावपेंच में फंसा कर ससमय चालू न होने देने के प्रयास की बात सामने आ रही है। देवघर में एम्स और एयरपोर्ट ऐसी अतिमहत्वपूर्ण जनकल्याणकारी योजना है, जिनके चालू होने से न सिर्फ झारखंड बल्कि सीमावर्ती बिहार बंगाल के बड़ी आबादी को भी इसका लाभ मिलेगा साथ ही देवघर और झारखड का नाम देश और दुनिया के पटल पर आयेगा और झारखंड को एक नई पहचान मिलेंगी।
उन्होंने कहा कि देवघर में बन रहे एम्स के उद्घाटन टालने के लिए कोविड गाइड लाइन की आड़ में प्रशासनिक अड़ंगेबाजी एवं राजनैतिक कारणों से ऐसा व्यवधान उत्पन्न किया गया कि एम्स औपचारिक रूप से शुरू नहीं हो पाया है।
उन्होनें कहा कि अब पता चल रहा है कि देवघर मधुपुर पी०डब्ल्यू०डी० पथ से निर्माणाधीन देवघर – एयरपोर्ट तक पहुंच पथ के लिये महज 320 मीटर लम्बी भूमि जिसकी अनुमानित कीमत 11 लाख रूपये होगी, के अधिग्रहण मामले में सुस्ती बरती जा रही है। आपको सत्ता में आए हुए 18 महीने हो गये हैं। यदि आप 18 महीने में इतनी छोटे जमीन के टुकड़े का अधिग्रहण नहीं करवा पा रहे हैं तो इसे क्या कहा जाए ? क्या ये नहीं समझा जाएगा कि आप केंद्र सरकार द्वारा प्रदत्त राष्ट्रीय और अन्तर्राष्ट्रीय महत्व के जनकल्याणकारी योजना को जनहित के नजरिये से नहीं बल्कि राजनीतिक चश्में से देख रहे हैं।
पहले एम्स और अब एयरपोर्ट चालू कराने के मामले में देवघर प्रशासन के कार्यकलाप से भी यह प्रतीत होता है कि ये कल्याणकारी योजनाओं के प्रति गंभीर न होकर राज्य में सत्तासीन राजनीतिक पार्टी के टूल की तरह काम कर रहे हैं और उनकी प्रतिबद्धता लोक कल्याणकारी कामों में कम एवं राजनैतिक आकाओं को खुश रखने में ज्यादा है।
बिहार के दरभंगा और झारखंड के देवघर में एयरपोर्ट एक साथ शुरू होनेवाला था । दरभंगा में एयरपोर्ट महीनों पहले चालू हो चुका है, कई प्रमुख शहरों से हवाई जहाज की सेवा का लाभ वहाँ के लोग उठा रहे हैं। वहीं दूसरी तरफ हमलोग एप्रोच रोड के लिए कुछ मीटर जमीन अधिग्रहण का रोना रो रहे हैं।