दिल्ली में आम आदमी पार्टी के नेता सौरभ भारद्वाज द्वारा की गई यह मांग कि पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK) को भारत में शामिल किया जाए, पहली नज़र में देशभक्ति की तरह प्रतीत हो सकती है। लेकिन अगर ज़मीनी सच्चाई को देखा जाए, तो यह मांग राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए आत्मघाती सिद्ध हो सकती है। जब आज का कश्मीर ही भारत विरोधी, जिहादी मानसिकता से ग्रसित हो चुका है, तो उस जहर से सने हुए PoK को अपने देश में लाना क्या समझदारी होगी?
कश्मीर — आतंक का गढ़ बन चुका है
हाल ही में पहलगाम में हुए आतंकी हमले ने एक बार फिर साबित कर दिया कि यह हमला सिर्फ़ सीमा पार से नहीं हुआ, बल्कि इसमें अंदरूनी यानी स्थानीय समर्थन भी था। कोई भी आतंकी संगठन किसी स्थान को बिना स्थानीय सहायता और संपर्क के टारगेट नहीं कर सकता। इसका मतलब साफ है: कश्मीर के भीतर भी जिहादी विचारधारा पनप रही है, और वहां की प्रशासनिक मशीनरी कहीं न कहीं इस खतरे को नज़रअंदाज़ कर रही है या फिर उसमें मिलीभगत है।
Kashmiri शासन और कट्टरपंथ
कश्मीर का राजनीतिक नेतृत्व और प्रशासनिक तंत्र वर्षों से मुस्लिम तुष्टिकरण और अलगाववादी मानसिकता को संरक्षण देता आया है। जब कोई हमला होता है, तो बयानबाज़ी होती है — लेकिन कठोर कदम उठाने से हर सरकार कतराती रही है, चाहे वो UPA हो या NDA। अब अगर PoK को भारत में मिला दिया जाए, तो सोचिए, वहां की 100% मुस्लिम आबादी, जो दशकों से भारत के खिलाफ़ जहर उगलती आ रही है, वो भारत के अन्य हिस्सों में भी खुली छूट पा जाएगी।
PoK — सिर्फ़ एक ज़मीन नहीं, आतंक का प्लांट
PoK अब एक ‘इलाका’ नहीं है। यह एक आतंकी नेटवर्क का अड्डा बन चुका है। वहां से सिर्फ हथियार नहीं, बल्कि सोशल मीडिया, धार्मिक कट्टरपंथ और प्रशिक्षित आतंकी भारत में भेजे जाते हैं। वहां की मस्जिदों और मदरसों में जो पाठ पढ़ाए जाते हैं, वो सीधे-सीधे हिंदुस्तान और हिंदुओं के खिलाफ होते हैं।
अब कल्पना कीजिए कि अगर यह क्षेत्र भारत का हिस्सा बनता है और वहां के लोगों को आधार कार्ड, वोटिंग अधिकार, सब्सिडी, और नौकरियों में आरक्षण मिल जाता है, तो क्या होगा? क्या यह आतंकवाद को संस्थागत रूप नहीं देगा?
मुस्लिम तुष्टिकरण और वोट बैंक की राजनीति
AAP नेताओं की यह मांग मुस्लिम वोट बैंक को साधने का एक प्रयास मात्र है। वे जानते हैं कि हिंदुओं की भावनाओं से खेलकर, खुद को राष्ट्रवादी दर्शाकर और मुस्लिमों को ख़ुश रखकर, वे दोनों ओर की सहानुभूति बटोर सकते हैं। लेकिन यह भारत की आंतरिक सुरक्षा के साथ खुला खिलवाड़ है।
क्या PoK को भारत में मिलाना सही समाधान है?
इसका उत्तर साफ है — नहीं। जब कश्मीर ही पूरी तरह से भारत में रहते हुए भी भारत विरोधी मानसिकता से ग्रस्त है, वहाँ के स्कूलों, कॉलेजों और मस्जिदों में कट्टरपंथ पनप रहा है, और आतंकी हमले लोकल सपोर्ट के बिना नहीं हो सकते, तो PoK को मिलाना एक घातक कदम होगा।
क्या किया जाना चाहिए?
- PoK को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अलग-थलग करें: भारत को चाहिए कि PoK को अंतरराष्ट्रीय रूप से आतंकवाद के गढ़ के रूप में उजागर करे।
- कश्मीर में कठोर नीति लागू हो: जो राज्य खुद जिहादी मानसिकता से ग्रस्त हो, वहाँ पर विशेष प्रशासनिक तंत्र लागू हो, जिसमें आतंक समर्थकों पर कड़ी कार्रवाई हो।
- राजनीतिक बयानबाज़ी नहीं, सैन्य रणनीति चाहिए: बयान देने से कुछ नहीं होगा। अगर PoK पर कार्रवाई करनी है तो वह सैन्य और कूटनीतिक रूप से होनी चाहिए, न कि बयानबाज़ी और राजनीतिक अवसरवादिता के तहत।