Amritsar, April 28, 2025:
पाहलगाम हमले के बाद भारत सरकार ने पाक दूतावास के ‘महामहिम’ कर्मचारियों की गतिविधियाँ सीमित कर दीं और उनका सामान भी विदाई के लिए भेज दिया। अटारी-वाघा बॉर्डर पर भारी पुलिस सुरक्षा में ट्रक पहुंचा — जिसमें बड़े गर्व से आतंकवाद एक्सपोर्ट करने वाले ‘डिप्लोमैट्स’ का सामान भरा था।
ट्रक ड्राइवर ने बताया, “हमें दिल्ली से ये सामान बॉर्डर तक छोड़ने को कहा गया है। सबका संबंध पाक दूतावास से है।”
सुरक्षा जांच के बाद जब ट्रक बॉर्डर पार कर रहा था, तो देखने वालों के चेहरों पर हल्की मुस्कान थी — सोच रहे थे कि चलो अच्छा हुआ, कुछ ‘पढ़े-लिखे जिहादी’ भी वापस अपने देश जा रहे हैं।
पाक दूतावास में नौकरी का शायद एक ही योग्यता प्रमाणपत्र होता है — “भाषण दो, भारत को गालियाँ दो, आतंकवाद फैलाओ, और खुद अंग्रेजी में तीन लाइनें भी न जोड़ पाओ।”
वैसे भी, जिनके दूतावास में भी पढ़े-लिखे के बजाय अर्धशिक्षित मौलवी टाइप अधिकारी बैठें हों, उनसे कूटनीति की उम्मीद करना वैसे ही है जैसे ऊंट से फॉर्मूला-1 रेस जिताने की उम्मीद करना।
कुल मिलाकर, दिल्ली ने साफ संदेश दे दिया — अब न आतिथ्य बचेगा, न सहनशीलता।
“टाटा, बाय बाय, वाघा बॉर्डर वाले भाई!”