दिल्ली में सार्वजनिक स्थानों पर छठ मानाने पर बैन लगा दिया गया है। कोविड को देखते हुए केजरीवाल सरकार ने यह फैसला लिया है। सरकार की ओर से कहा गया है कि अपने-अपने घरों में ही छठ पूजा मनाएं ।
ईद मनी है तो छठ क्यों नहीं?
केजरीवाल सरकार के फैसले पर अभी से ही विवाद शुरू हो गया है। लोगों ने सवाल किया कि जब ईद सार्वजनिक रूप से मनाई गई, जब सैकड़ों लोग मस्जिदों में बैठकर एक साथ नमाज़ अदा कर रहे थे, जब लोग भीड़ भरी सड़कों पर एक-दूसरे से गले मिल रहे थे, तब क्या कोविड नहीं फैल रहा था, क्या कोरोना सिर्फ हिंदुओं के त्योहारों में ही फैलता है ?
क्या @ArvindKejriwal सिर्फ एक धर्म विशेष के मुख्यमंत्री हैं?
वैसे तो उन्होंने पूरी दिल्ली खोल दी, तो अब छठ पूजा पर ही क्यों प्रतिबंध लगा रहे हैं।
क्या केजरीवाल जी के नज़रों में हिन्दू धर्म बाकि धर्मों की तुलना में कम है?
— Adesh Gupta (@adeshguptabjp) October 1, 2021
रैली, प्रदर्शन, धरने की इजाज़त , तो सिर्फ छठ पर बैन क्यों?
निरंजन कुमार लिखते हैं कि अल्पसंख्यक समुदाय को खुश करने के लिए केजरीवाल ने हिंदुओं के पर्व को बैन करने का तरीका अपनाया है। होली में रंग मत खेलो और दिवाली में पटाखे मत जलाओ, छठ पूजा मत करो। पर हर शुक्रवार को सड़कों पर नमाज पढ़ो, बकरीद में खून बहाओ, उसके लिए इजाजत है।
एक और यूजर लिखते हैं कि किसान आंदोलन के नाम पर सड़कों के बीच में बैठ प्रदर्शन करने की इजाज़त है, धरना देने की इजाज़त है लेकिन पूजा करने की इजाज़त नहीं है। जिस धर्म के लोग मुफ्तखोरी के चक्कर में अपना ईमान बेचते हैं, उनके साथ इससे भी बुरा सलूक होना चाहिए।