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अदालत की राहुल गांधी को फटकार: “अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता में सेना के खिलाफ अपमानजनक बयान शामिल नहीं”

लखनऊ: इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने कांग्रेस नेता राहुल गांधी की उस याचिका को खारिज कर दिया है जिसमें उन्होंने सेना के खिलाफ कथित आपत्तिजनक बयान के लिए जारी समन को रद्द करने की मांग की थी।

न्यायमूर्ति सुभाष विद्याथी ने कहा कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता अनुच्छेद 19(1)(a) के तहत दी गई है, लेकिन यह तार्किक सीमाओं के अधीन है और इसमें भारतीय सेना या किसी भी व्यक्ति के खिलाफ मानहानिपूर्ण बयान देने की स्वतंत्रता शामिल नहीं है।

यह मामला राहुल गांधी द्वारा 16 दिसंबर 2022 को भारत जोड़ो यात्रा के दौरान अरुणाचल प्रदेश में भारत-चीन सेना की झड़प पर दिए गए बयान से जुड़ा है।

सेना के पूर्व निदेशक उदय शंकर श्रीवास्तव, जिन्होंने भारतीय सेना में कर्नल समकक्ष पद पर कार्य किया है, ने यह शिकायत दर्ज कराई थी। उन्होंने कहा कि राहुल गांधी का बयान झूठा और दुर्भावनापूर्ण था, जिसका उद्देश्य सेना का मनोबल गिराना और आम जनता का विश्वास तोड़ना था।

शिकायत के अनुसार, सेना ने आधिकारिक बयान में कहा था कि 9 दिसंबर को तवांग सेक्टर में पीएलए सैनिकों ने एलएसी पार की थी, जिसका भारत के सैनिकों ने डटकर जवाब दिया और मामूली चोटें दोनों पक्षों को आई थीं।

11 फरवरी 2025 को लखनऊ की एक अदालत ने राहुल गांधी को भारतीय दंड संहिता की धारा 500 (मानहानि) के तहत समन जारी कर विचारण का सामना करने के लिए बुलाया था।

हाईकोर्ट ने स्पष्ट किया कि शिकायतकर्ता को धारा 199 CrPC के तहत “पीड़ित व्यक्ति” माना जा सकता है और मामला विचारणीय है।

राहुल गांधी के वकील ने इसे राजनीतिक साजिश बताया, लेकिन अदालत ने कहा कि निचली अदालत ने समन पूरे विवेक के साथ जारी किया था, यह कोई यांत्रिक निर्णय नहीं था।

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