चेन्नई: कोयंबटूर और अन्य स्थानों पर बम धमाकों से जुड़े तीन फरार आतंकियों को तमिलनाडु पुलिस ने 30 साल बाद गिरफ्तार किया है। शुक्रवार को चेन्नई पुलिस महानिदेशक कार्यालय में मीडिया से बात करते हुए डीजीपी शंकर जीवाल ने कहा, “यह ऑपरेशन मुख्य रूप से अबूबकर सिद्दीक को पकड़ने के लिए शुरू किया गया था, जो बम धमाकों और सांप्रदायिक हत्याओं के कई मामलों में लगभग 30 वर्षों से फरार था।”
🔹 अबूबकर सिद्दीक की गिरफ्तारी (आंध्र प्रदेश):
डीजीपी ने बताया कि अबूबकर की कोई ताज़ा तस्वीर नहीं थी, सिर्फ युवावस्था की कुछ पुरानी फोटो ही मौजूद थीं। उसने अलग-अलग नामों से पहचान बनाई और लगातार ठिकाने बदलता रहा। वो हाई-एंड IED बनाने में माहिर था। तकनीकी जानकारी और मुखबिरों की मदद से, तमिलनाडु एंटी टेरर स्क्वॉड (ATS), आंध्र और कर्नाटक पुलिस तथा केंद्रीय एजेंसियों की सहायता से, अबूबकर को आंध्र प्रदेश के अन्नामय्या ज़िले के रायचोटी से गिरफ्तार किया गया।
🔹 मोहम्मद अली की गिरफ्तारी:
इस ऑपरेशन के दौरान, एक अन्य वांछित आरोपी मोहम्मद अली उर्फ़ शेख मंसूर की पहचान भी हुई। थोड़े ही समय में, तमिलनाडु और आंध्र प्रदेश पुलिस ने दोनों को गिरफ्तार कर 1 जुलाई को एगमोर कोर्ट में पेश कर न्यायिक हिरासत में भेज दिया।
अबूबकर के घर से विस्फोटक सामग्री और बड़ी संख्या में इलेक्ट्रॉनिक उपकरण बरामद किए गए। ATS जल्द ही इन आतंकियों को कोर्ट से रिमांड पर लेकर गहन पूछताछ करेगी।
🔹 टेलर राजा की गिरफ्तारी:
इसी तरह, तमिलनाडु ATS और कोयंबटूर सिटी पुलिस ने एक और बड़ी सफलता पाई। 1998 के कोयंबटूर सीरियल ब्लास्ट केस सहित चार बड़े मामलों में वांछित सादिक अली उर्फ़ टेलर राजा को कर्नाटक के विजयपुरा से 9 जुलाई को गिरफ्तार किया गया। 10 जुलाई को उसे कोयंबटूर कोर्ट में पेश किया गया और न्यायिक हिरासत में भेजा गया।
राजा भी 1996 से 29 वर्षों से फरार था और उसने अपने पुराने सभी संपर्क तोड़ दिए थे। पुलिस ने अन्य राज्यों में खुफिया जानकारी और सबूतों के आधार पर उसे पकड़ा।
🔎 जांच के अगले कदम:
डीजीपी ने कहा, “हम कई एंगल से जांच करेंगे—क्या ये लोग विदेश गए थे? इन्हें पैसे कहां से मिलते थे? कोर्ट से रिमांड लेकर पूछताछ की जाएगी।”
तमिलनाडु राज्य खुफिया विभाग और काउंटर टेरर यूनिट की महीनों की मेहनत से यह बड़ी कामयाबी मिली है।

