बिहार की राजनीति एक बार फिर बड़ा करवट लेने को तैयार है । तेजस्वी को छोटा भाई बताने के बाद अब चिराग पासवान ने सीधे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पर हमला बोल दिया। चिराग पासवान ने कहा है कि “मैंने हर परिस्थिति में हनुमान बनकर मोदीजी की सेवा की है, लेकिन आज जब राजनीतिक रुप से हनुमान की हत्या का प्रयास हो रहा है तो उम्मीद है कि राम खामोश बैठकर तमाशा नहीं देखेंगे। “
बीजेपी का पहली बार चिराग पर हमला
अबतक नीतीश कुमार और चिराग पासवान की लड़ाई में बीजेपी खामोश रही । इससे ये मैसेज गया कि चिराग ने विधानसभा चुनाव के दौरान जो किया वो भाजपा के इशारे पर ही किया था । लेकिन पहली बार भाजपा ने चिराग पासवान पर सीधा हमला बोला है। भाजपा के राज्यसभा सदस्य एवं पूर्व डिप्टी सीएम सुशील कुमार मोदी ने कहा कि पिछले विधानसभा चुनाव में भ्रम फैलाकर एनडीए के वोटों को बांटने की साजिश की गई। अगर एनडीए के वोटों का बंटवारा न होता तो हम आसानी से 160 सीटों से ज्यादा जीतते।
क्या ये चिराग के एनडीए छोड़ने से पहले का माहौल है ?
लोजपा में टूट के बाद से तेजस्वी यादव ने दो बार चिराग पासवान को अपने साथ आने का न्योता दिया है । तेजस्वी यादव ने तो इतना तक कह दिया कि एनडीए ने बार-बार लोजपा को तोड़ने की कोशिश की, लेकिन लालूजी ने स्वर्गीय रामविलास पासवान को तब भी राज्यसभा सदस्य बनाया जब वे खुद चुनाव हार गए थे । उधर चिराग ने भी कहा है कि वे लगातार तेजस्वी यादव के संपर्क में हैं । चिराग ने ये भी कहा कि तेजस्वी यादव उनके छोटे भाई की तरह हैं।
चिराग-तेजस्वी साथ आए तो क्या बदलेगा?
ये सबको पता है कि लोजपा के बागी पांच सांसद अकेले अपने दम पर चुनाव नहीं जीत सकते। उनमें से कितनों को अगले लोकसभा चुनाव में टिकट मिलेगा, इसपर भी संदेह है । बिहार के सामाजिक समीकरणों की बात करें तो सामाजिक समीकरण तो तब बदलेगा जब चिराग के साथ रामविलास पासवान का प्रतिबद्ध वोटर टिका रहे । अगर ऐसा हुआ तो लेफ्ट और चिराग के एक खेमें में होने से दलित और महादलित वोटरों का एक बड़ा तबका महागठबंधन के साथ जाएगा। दूसरा राजद का यादव वोटर तेजस्वी के साथ इंटैक्ट है । कांग्रेस खराब से खराब हालत में भी 5-7% वोट पर पकड़ रखती है ।
चुनाव दर चुनाव दरक रहा है NDA का वोट
दूसरी ओर एनडीए सवर्ण, कोयरी-कुर्मी, अतिपिछडी और महादलित तबके के सहारे है । लेकिन पिछा विधानसभा चुनाव बताता है कि सवर्ण वोटर नीतीश कुमार से बेहद नाराज़ हैं। फॉरवर्ड-बैकवर्ड के समीकरण में अतिपिछडी जातियों का वोट छिटककर महागठबंधन के पाले में चला जाता है। विधानसभा चुनाव के पहले और दूसरे चरण में महागठबंधन की बढ़त का ये एक कारण था ।