अयोध्या के राम मंदिर के मुख्य पुजारी आचार्य सत्येंद्र दास का 87 वर्ष की आयु में निधन हो गया। वे पिछले 34 वर्षों से रामलला की सेवा कर रहे थे और बाबरी विध्वंस से लेकर रामलला की प्राण प्रतिष्ठा तक के सभी ऐतिहासिक क्षणों के साक्षी रहे।
बीते कुछ दिनों से उनकी तबीयत खराब थी, जिसके बाद उन्हें पहले अयोध्या और फिर लखनऊ के अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां 12 फरवरी की सुबह उनका निधन हो गया।
रामलला को गोद में लेकर भागे थे आचार्य
आचार्य सत्येंद्र दास को 1992 में राम जन्मभूमि के तत्कालीन रिसीवर ने पुजारी के रूप में नियुक्त किया था। 6 दिसंबर 1992 को बाबरी मस्जिद विध्वंस के दिन वे रामलला को गोद में लेकर भागे थे, ताकि किसी भी तरह की क्षति से उन्हें बचाया जा सके। तब से लेकर अब तक वे रामलला की सेवा में समर्पित रहे।
शिक्षा और सेवाकाल
उन्होंने 1975 में संस्कृत विद्यालय से आचार्य की उपाधि प्राप्त की थी और 1976 में अयोध्या के संस्कृत महाविद्यालय में सहायक शिक्षक के रूप में कार्यरत हुए। 1992 में उन्हें रामलला के पुजारी के रूप में नियुक्त किया गया और वे अस्थायी मंदिर में पूजा-अर्चना करते रहे।
जीवनभर रामलला की सेवा में समर्पित
उनका जन्म 1945 में उत्तर प्रदेश के संत कबीरनगर में हुआ था, लेकिन उन्होंने अपना संपूर्ण जीवन रामलला की सेवा में समर्पित कर दिया। कुछ समय पहले ब्रेन हेमरेज के कारण उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया था, जिसके बाद मंगलवार को उनका निधन हो गया।
उनकी इस अपार सेवा के लिए अयोध्या और पूरे देश में शोक की लहर है।