नई दिल्ली: खुफिया जानकारी के आधार पर कि अधिकांश नक्सली छत्तीसगढ़ के कोर क्षेत्रों में छिपे हुए हैं, सुरक्षा एजेंसियों ने एक टार्गेटेड मैनहंट शुरू किया है। हाल ही में छत्तीसगढ़ के दौरे के दौरान केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (CRPF) के महानिदेशक जीपी सिंह ने सुरक्षा तैयारियों और नक्सल विरोधी अभियानों की प्रगति की समीक्षा की।
सुरक्षा एजेंसियों के पास उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार, 15 से 28 फरवरी के बीच आंध्र प्रदेश और छत्तीसगढ़ से 24 माओवादी गिरफ्तार किए गए हैं। इनमें से 22 छत्तीसगढ़ से पकड़े गए, जिनमें 17 बीजापुर से और 5 सुकमा से गिरफ्तार किए गए।
सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, 2024 में देशभर में कुल 374 वामपंथी उग्रवाद (LWE) से जुड़े घटनाएं दर्ज की गईं, जिनमें से 267 घटनाएं अकेले छत्तीसगढ़ में हुईं। हालांकि, 2010 में दर्ज 343 घटनाओं की तुलना में यह संख्या 64% कम है।
गृह मंत्री अमित शाह के निर्देशों के अनुसार, सुरक्षा एजेंसियां मार्च 2026 तक माओवादी खतरे को समाप्त करने के लक्ष्य पर काम कर रही हैं। इसके तहत विशेष फोर्सेस, खुफिया शाखाओं (SIBs), और जिला पुलिस को सुदृढ़ करने के लिए विशेष अवसंरचना योजना (SIS) के तहत फंड जारी किए गए हैं।
सुरक्षा से लेकर विकास तक, सरकार बहुआयामी रणनीति के तहत सड़क नेटवर्क विस्तार, टेली कम्युनिकेशन सुधार, युवाओं को कौशल विकास और वित्तीय समावेशन से जोड़ने पर भी ध्यान केंद्रित कर रही है।
सरकारी योजनाओं और सुरक्षा बलों के दृढ़ संकल्प से वामपंथी उग्रवाद के प्रभाव वाले जिलों की संख्या 2010 के 126 जिलों से घटकर 2024 में केवल 38 रह गई है। 2010 में 1,936 हिंसक घटनाओं की तुलना में 2024 में यह आंकड़ा 81% घटकर 374 रह गया है।
सरकार और सुरक्षा एजेंसियों की सख्त रणनीति के चलते वामपंथी उग्रवाद के खिलाफ लड़ाई निर्णायक मोड़ पर पहुंच रही है।