Wednesday 16th of July 2025 03:30:53 AM
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केन्द्र कुपोषित बच्चों का पैसा नहीं दे रहा और यहां भाजपा वाले झाल बजा रहे हैं

भाजपा को झारखण्ड के लोगों ने झाल बजाने लायक ही छोड़ा है
भाजपा को झारखण्ड के लोगों ने झाल बजाने लायक ही छोड़ा है

झारखण्ड मुक्ति मोर्चा ने भाजपा द्वारा झारखण्ड विधानसभा के अंदर हंगामे पर जोरदार हमला बोला है। झामुमो के केन्द्रीय महासचिव सुप्रियो भट्टाचार्य ने स्पीकर से वैसे विधायकों पर सख्त कार्रवाई करने की अपील की है। उन्होने कहा कि झारखण्ड मुक्ति मोर्चा झारखण्ड विधानसभा को लोकसभा की तरह नहीं चलने देगी, जहां सिर्फ बहुमत और ताकत के दम पर जबरदस्ती कानून बनाए जा रहे हैं।

सुप्रियो भट्टाचार्य ने कहा कि आजकल विधानसभा के सत्र छोटे होते हैं. लेकिन हमलोगों ने देखा है कि शोक प्रकट करने वाले दिन भी हंगामा हुआ। आज भाजपा को 2019 दिसंबर याद आ गया। दिसम्बर 2019 को झारखण्ड के मतदाताओं ने ुनको झोल और झाल बजाने लायक ही छोड़ा था। उनके पास न मुद्दे हैं, न नेता है और न ही जनता के सवाल हैं। इसलिए उनका काम अब केवल झाल बजाना ही रह गया है।

भाजपा के लोग अपनी तस्वीर क्यों लगवाना चाहते हैं ?

भाजपा के मुख्य सचेतक ने पिछले सत्र में ही एक हास्यास्पद चिट्ठी लिखी। उन्होने लिखा कि उनके कमरे में दीपक प्रकाश, बाबूलाल मरांडी, अमित शाह और नरेन्द्र मोदी का चित्र लगाया जाय । वे अटल जी और दीनदयाल उपाध्याय का भी चित्र लगवाना चाहते थे। दरअसल भाजपा के मुख्य सचेतक अपने कमरे को फोटो फ्रेम की दुकान बनाना चाहते थे। उनकी बुद्धि पर हंसी नहीं आएगी तो और क्या आएगा। इतनी हल्की बातें विधानसभा के अंदर प्रतिपक्ष का मुख्य सचेतक करता है। ये अजीब स्थिति है।

हम हर सवाल का जवाब देने को तैयार

विधानसभा के अंदर काम क्या होना चाहिए । आज तो मुख्यमंत्री प्रश्नकाल में सीएम को घेरना चाहिए था। वे चाहते तो कड़े से कड़े प्रश्न पूछ सकते थे। हमारे सीएम तैयार बैठे थे । वे बेरोजगारी और नियोजन पर सवाल कर सकते थे, लेकिन वे बैठ कर झाल बजा रहे थे।  भाजपा वाले झारखण्ड विधानसभा में झाल बजाने आते हैं क्या ? लोकतंत्र में झाल नहीं बजाया जाता, मुद्दों के साथ तैयारी कर आया जाता है।

बच्चों के कुपोषण मामले में भी झारखण्ड से भेदभाव

जब हमलोग सरकार गठन कर रहे थे तो मन में उत्साह था कि एक चौथाी से ज्यादा विपक्ष के विधायक हैं. सत्तापक्ष को सही रास्ते पर रखेंगे, साकारात्मक सुझाव के साथ आएंगे। जब चौथा नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे हुआ और जो कुपोषण पर झारखण्ड के बारे में रिपोर्ट आई, वो हम सबको विचलित करने वाली थी । 0-6 माह तक के आधे बच्चे जो झारखण्ड में हैं, वो कुपोषित हैं। केन्द्र सरकार ने कुपोषण से लड़ने के लिए 15 हजार करोड़ रुपये पूरे देश को दिए। 15वें वित्त आयोग की अनुशंसा है कि उसमें से 324 करोड़ अतिरिक्त रूप से झारखण्ड को दिए जायें। लेकिन अबतक हमें वो पैसा नहीं मिला. हम अपने कम संसाधन में बच्चों को अंडा और दूध देने का प्रयास कर रहे हैं। सीएम ने इस मुद्दे पर आज प्रधानमंत्री को पत्र भी लिखा है।

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