उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनावों को लेकर भाजपा के अंदर लगातार बैठकों का दौर जारी है, लेकिन सबसे महत्वपूर्ण बैठक गुरुवार को हुई । इस बैठक में अमित शाह, जेपी नड्डा, स्वतंत्र देव सिंह और योगी आदित्यनाथ मौजूद थे । बैठक के बाद यह रणनीति बनी की किसी भी कीमत पर इस चुनाव को फॉरवर्ड- बैकवर्ड नहीं बनने देना है, बल्कि सभी जातियों को अपने साथ जोड़ने की कोशिश करनी है ।
जल्द होगा मंत्रीमंडल विस्तार
उत्तर प्रदेश मंत्रिमंडल का विस्तार इसी हफ्ते होने की संभावना है। इस मंत्रीमंडल विस्तार में सभी सहयोगी दलों को प्राथमिकता मिलेगी । संजय निषाद की सारी शिकायतें भी दूर कर ली गई है। बड़ी संख्या में ओबीसी और एससी विधायकों को मंत्री बनने का मौका दिया जाएगा, लेकिन इस बात का भी ख्याल रखा गया है कि कहीं इस कवायद में सवर्ण न नाराज़ हो जाएं। इसके लिए हिन्दुत्व, राम मंदिर और सवर्ण रिजर्वेशन का तड़का भी लगाया जाएगा।
अफगानिस्तान डेवलपमेंट का भी असर
अफगानिस्तान में तालिबान का शासन वापस लौटने के बाद जिस तरह कट्ठमुल्ले और शायरों ने बयानबाज़ी शुरू की है उससे भाजपा के रणनीतिकार खुश हैं। बिना कुछ किए इन लोगों ने मुंह से उल्टी कर माहौल बनाना शुरू कर दिया है। भाजपा की कोशिश है कि दलितों और ओबीसी में हिन्दुत्व की लहर पैदा की जाए, इसके लिए ओबीसी और दलित बहुल इलाकों का चयन कर वहां संघ के स्वयंसेवकों को लगा दिया गया है ।
योगी और मोदी ही ही होंगे चेहरा
कुछ राज्यों में भाजपा सिर्फ नरेन्द्र मोदी के चेहरे पर चुनाव लड़ी, लेकिन स्थानीय चेहरा न होने से भाजपा को नुकसान उठाना पड़ा। बंगाल में खासतौर पर “बाहरी पार्टी बनाम बंगाल की बेटी” जैसा नरेटिव बना। अब भाजपा ने रणनीति बनाई है कि मोदी के अलावा स्थानीय चेहरे ही चुनाव प्रचार की कमान संभालेंगे।