10 साल से BSNL ने Jio को नहीं भेजा बिल, सरकार को भारी नुकसान
नई दिल्ली: भारत सरकार के स्वामित्व वाली भारत संचार निगम लिमिटेड (BSNL) ने 2014 से 2024 तक रिलायंस जियो से इन्फ्रास्ट्रक्चर शेयरिंग का शुल्क नहीं लिया, जिससे सरकार को ₹1,757.56 करोड़ का नुकसान हुआ।
कंप्ट्रोलर एंड ऑडिटर जनरल (CAG) की रिपोर्ट के अनुसार, BSNL ने अपने मास्टर सर्विस एग्रीमेंट (MSA) को लागू नहीं किया और Jio द्वारा अतिरिक्त तकनीक के उपयोग के लिए बिलिंग करने में विफल रहा। इससे न केवल राजस्व का नुकसान हुआ, बल्कि सरकार को ₹1,757.76 करोड़ और उस पर दंडात्मक ब्याज का नुकसान हुआ।
BSNL की लापरवाही से ₹38.36 करोड़ का अतिरिक्त घाटा
CAG ने यह भी बताया कि BSNL ने टेलीकॉम इन्फ्रास्ट्रक्चर प्रोवाइडर्स (TIPs) को भुगतान करने से पहले लाइसेंस शुल्क की कटौती नहीं की, जिससे ₹38.36 करोड़ का अतिरिक्त नुकसान हुआ।
इसके अलावा, BSNL ने MSA में निर्धारित एस्केलेशन क्लॉज का पालन नहीं किया, जिससे ₹29 करोड़ (GST सहित) का नुकसान हुआ।
क्या है पूरा मामला?
📌 BSNL और Jio के बीच मई 2014 में पासिव इंफ्रास्ट्रक्चर शेयरिंग का करार हुआ था।
📌 BSNL Jio को टावर और अन्य नेटवर्क सुविधाएं मुहैया कराता था, लेकिन उसने 10 साल तक उचित शुल्क नहीं लिया।
📌 लाइसेंस फीस की गलत गणना से भी BSNL को अतिरिक्त ₹38.36 करोड़ का घाटा हुआ।
📌 MSA में निर्धारित शुल्क वृद्धि लागू नहीं करने से ₹29 करोड़ का नुकसान हुआ।
CAG की सख्त टिप्पणी
CAG की रिपोर्ट में BSNL की प्रशासनिक लापरवाही को उजागर करते हुए कहा गया कि अगर समय पर उचित बिलिंग की जाती, तो सरकारी खजाने को भारी नुकसान से बचाया जा सकता था।
सरकार क्या कार्रवाई करेगी?
BSNL की इस चूक के बाद अब सरकार इस मामले की आंतरिक समीक्षा कर सकती है। साथ ही, आगे के रिवाइज़्ड बिलिंग सिस्टम को लागू करने पर जोर दिया जा सकता है ताकि ऐसा दोबारा न हो।