राजधानी रांची के एचईसी में पूरी तरह ब्लैकआउट की स्थिति है। प्लांट का प्रोडकेशन बिल्कुल ठप है, जेवीएनएल ने 126 करोड़ रुपये के बिजली बिल बकाये के बाद एचईसी की बिजली काट दी है। एचईसी के अधिकारियों ने बताया कि जेवीएनएल के साथ वार्ता चल रही है, बुधवार तक बिजली बहाल होने की उम्मीद है।

क्या राज्य सरकार ने केन्द्र से बदला लिया है ?
झारखण्ड की हेमंत सरकार ने आरोप लगाया है कि केन्द्र सरकार ने बिना उनकी अनुमति के 714 करोड़ रुपये का बकाया राज्य के उर्जा विभाग के खाते से काट लिए। अब आरोप लग रहे हैं कि राज्य सरकार ने जवाबी कार्रवाई करते हुए जेवीएनएल के 126 करोड़ रुपये बिजली बिल बकाये के कारण एचईसी की बिजली काट दी है। हालांकि जेवीएनएल का कहना है कि बार-बार कंपनी को नोटिस दिया गया। किस्त में भी बकाया जमा करने का ऑफर दिया गया, मगर एचईसी ने इसे गंभीरता से नहीं लिया। कंपनी की ओर से कोई पहल नहीं की गई, जिसके बाद अंततः एचईसी की बिजली काट दी गई।
केन्द्र और राज्य सरकारों का झगड़ा और जमीन के लालच में बंद होने के कगार पर एचईसी
एचईसी के पास हजारों एकड़ जमीन है। अब यही जमीन जी का जंजाल बना हुआ है. इस जमीन पर केन्द्र और राज्य सरकार दोनों की नजर है। एचईसी ने स्मार्ट सिटी के नाम पर अपनी कीमती जमीन बेच दी लेकिन कंपनी के हिस्से ठन-ठन गोपाल आया। अब एचईसी ने कहा है कि जब जमीन का पैसा उसे मिलता ही नहीं है तो फिर वह अपनी कीमती जमीन क्यों बेचेगा।
कभी पैसे देने के लाले तो कभी बंद होने की अफवाह
एचईसी के बंद होने की अफवाह याद-कदा उड़ते रहती है। इसपर राजनीति भी खूब होती है। एचईसी एरिया में कुकुरमुत्ते की तरह मजदूर संगठन उग आए हैं तो लोकल स्तर पर राजनीति करते हैं। इस बीच एचईसी कर्मचारियों के वेतन को लेकर भी रस्सा-कस्सी चलती रहती है। कुल मिलाकर यूनियनबाजी, केन्द्र और राज्य सरकार के बीच झगड़ा और जमीन के लालच ने एचईसी को मरनासन्न स्थिति में पहुंचा दिया है।

