- वर्ष 2000 में स्पिकर इंदर सिंह नामधारी ने तत्कालीन मुख्यमंत्री बाबूलाल जी के सलाह से नमाज के लिए विधानसभा सचिवालय में एक कमरा आवंटित किया था: फुरकान अंसारी
- नमाज पढ़ने का मतलब ये नहीं की वह जगह इबादत गाह बन गया।कहीं भी नमाज पढ़ लेते हैं जहां साफ सुथरी जगह हो: फुरकान अंसारी

राांची। वर्ष 2000 विभाजन के बाद जब पहली बार झारखंड सरकार का गठन हुआ स्पीकर इंदर सिंह नामधारी एवं भाजपा के प्रथम मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी जी के सहमति से विधानसभा में काम करने वाले मुस्लिम कर्मी के लिए सहमति से एक कमरा नमाज के लिए दिया गया था। ये बातें फुुरकान अंंसारी ने कही।
उन्होंने कहा कि उस समय बाबुलाल जी पावर में थे।उस समय धर्म,मस्जिद या नमाज पढ़ना ये सब से कोई विवाद नहीं था।उस समय बाबुलालजी संकिर्ण मानसिकता के नहीं थे। लेकिन अब पावर में नहीं है तो इनके मन में ये उठ रहा है नमाज कौन पढ़ेगा,नमाज कहां पढ़ा जाएगा।ये विवाद खड़ा करने की इनकी नौबत आ गई है। मैं इनसे पुछना चाहता हूं कि 2000 में जब आप पावर में थे पहले मुख्यमंत्री बने स्पिकर इंदर सिंह नामधारी जी के सहमति से आपने कैसे अनुमति दिया।उस वक्त आपको नहीं लग रहा था नमाज पढ़ने की अनुमति नहीं दिया जाए।इस तरह की बेतुकी बात रात दिन करते हैं आप।
बिना बात के बखेड़ा खड़ा करना उनकी आदत
पूर्व सांसद ने कहा कि नमाज पढ़ने का मतलब ये नहीं की वह जगह इबादत गाह बन गया। नमाज लोग मैदान में भी पढ़ लेते हैं। कहीं भी नमाज पढ़ लेते हैं जहां साफ सुथरी जगह हो। एक कमरा अगर मिल गया तो कौन सी बड़ी बात हो गई। हर जगह हर थाने में मंदिर बना हुआ है, क्या कभी मुस्लिम सिपाही ने कहा कि मेरे लिए भी मस्जिद बना दिजिए। इस तरह का बात इस देश में नहीं होता है। जहां जिनको नमाज पढ़ना है पढ़ें, जिनको पुजा करना है करे ये व्यक्तिगत बात है। इससे आपको या हमको क्या लेना देना है।हम बहुत नमाज़ी है तो जाएंगे जन्नत में आप बहुत बड़े पुजारी हैं तो जाइयेगा स्वर्ग में।
बंगाल में हारे हैं, यूपी में भी हारेगी भाजपा
देश में जो जटिल समस्या है महंगाई है, पैट्रोल डिजल गैस का दाम जो बढ़ाया है,देश का हर एक चिज को बेचा जा रहा है इस ओर आपका ध्यान नहीं जा रहा है। इसलिए मैं आप लोगों को नेक सलाह दे रहा हूं ये सब धंधा बंद किजिए ये सब ज्यादा दिन नहीं चलने वाला बंगाल तो रिजेक्ट कर हि दिया आप लोगों को अब उत्तर प्रदेश से भी रिजेक्ट होने जा रहे हैं।