Thursday 21st of November 2024 11:16:45 PM
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बिहार सरकार का सिस्टम पूरी तरह “बे

भारत के संविधान में परिभाषित कोई भी संस्था इतनी बे-दिमाग की यानी माइंडलेस होकर काम नहीं कर सकती, जितना बिहार सरकार कर रही है। ये कठोर टिप्पणी की है पटना हाइकोर्ट ने । शिक्षा विभाग से जुड़े एक मामले में सुनवाई करते हुए पटना हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति चक्रधारी शरण सिंह की एकल पीठ ने यह टिप्पणी की है। पटना हाइकोर्ट की इस टिप्पणी की तुलना लालू का जमाने में हाइकोर्ट की “जंगलराज”वाली टिप्पणी से की जा रही है ।

पटना हाइकोर्ट ने नीतीश सरकार के पूरे सिस्टम को बताया माइंडलेस
पटना हाइकोर्ट ने नीतीश सरकार के पूरे सिस्टम को बताया माइंडलेस

क्या है पूरा मामला ?

दरअसल समस्तीपुर महिला कॉलेज के रिटायर्ड रोकड़पाल के वेतनमान निर्धारण से जुड़े मामले पर सुनवाई करने के दौरान कोर्ट ने यह टिप्पणी की। याचिकाकर्ता द्वारा बढ़े वेतनमान की मांग पर शिक्षा विभाग ने याचिकाकर्ता का पे स्केल सेक्शन अफसर तो दूर सहायक के वेतनमान से भी कम कर दिया। हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को आदेश दिया है कि याचिकाकर्ता को बकाए राशि का भुगतान 3 महीने के अंदर किया जाए। इतना ही नहीं हाईकोर्ट ने शिक्षा विभाग के प्रधान सचिव पर 20 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया है।

नीतीश की फजीहत, जुर्माना लगा सो अलग

समस्तीपुर महिला कॉलेज में सेक्शन ऑफिसर रहे रामनवमी शर्मा ने रिटायरमेंट के बाद सही वेतनमान और बकाए रकम के भुगतान के लिए हाईकोर्ट में याचिका दायर की। हाईकोर्ट ने उनकी याचिका को मंजूर कर लिया। न्यायमूर्ति चक्रधारी शरण सिंह की एकलपीठ ने रामनवमी शर्मा की रिट याचिका को मंजूर करते हुए कहा कि इस कोर्ट की नजर में भारत के संविधान में परिभाषित कोई भी संस्था इतनी बे-दिमाग होकर काम नहीं कर सकती जितना बिहार सरकार कर रही है। इसके अलावा अपनी करतूत को छुपाने के लिए इतनी लापरवाही भी कोई संस्था नहीं दिखा सकती जितना बिहार सरकार ने इस मामले में दिखाया है। कोर्ट की इस टिप्पणी से नीतीश सरकार की भारी फजीहत हुई है। कोर्ट ने प्रधान सचिव के ऊपर जुर्माना लगाया सो अलग।

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