क्या बिहार पाकिस्तान के आतंकी संगठनों का बेस कैंप बनता जा रहा है ? क्या बिहार के कई शहरों में ISI ने स्लीपर सेल बना रखे हैं ? बंगाल-बिहार की सीमा और नेपाल बॉर्डर देश में आतंक का नया ठिकाना बनता जा रहा है ? इंटेलिजेंस एजेंसीज की माने तो बिहार-बंगाल और नेपाल के सीमावर्ती इलाकों की हालत कश्मीर और नॉर्थ-ईस्ट से भी ज्यादा खराब हो सकती है ।

बिहार-बंगाल बॉर्डर बना पाकिस्तानी आतंकियों का नया ठिकाना
बिहार को शुरू से ही आतंकियों का सेफ पैसेज कहा जाता रहा है। कई जांच रिपोर्ट में आतंकियों द्वारा घटना को अंजाम देने के बाद बिहार के रास्ते ही नेपाल या बांग्लादेश निकल भागने की बात कही जा चुकी है। खुफिया एजेंसियों की माने तो आतंकियों द्वारा बिहार को हमेशा से एक माध्यम के तौर पर इस्तेमाल किया गया है। लेकिन अब आतंकी संगठन बिहार में अपनी जड़ें मजबूत कर रहे हैं। अब बिहार आतंकियों के भागने का रास्ता नहीं बल्कि आतंकी घटनाओं को अंजाम देने के लिए बेस कैंप की तरह इस्तेमाल हो रहा है। कुछ-कुछ ऐसा ही बेस कैंप जैसा पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में है।
स्थानीय लोगों में डर का माहौल
बिहार के दरभंगा, किशनगंज, पूर्णियां, अररिया जैसे जिलों में अचानक से बांग्लादेशी और उर्दू बोलने वाले मुसलमानों की संख्या में बेतहाशा वृद्धि दर्ज की गई है। किसी को नहीं पता कि हजारों-लाखों की संख्या में ये लोग कहां से आए हैं। लेकिन स्थानीय नेता वोटबैंक की खातिर इन अनजान लोगों का आधार कार्ड और राशन कार्ड बनवा रहे हैं। यहां के मूल निवासियों को इन्होने मारपीट कर भगा दिया और ये घटनाएं बदस्तूर जारी है ।

23 मई 2021
पूर्णिया के एक दलित बस्ती में 200 मुसलमानों का हथियारों के साथ हमला करना और बस्ती जलाकर उन्हें वहां से भगाने की कोशिश करना क्या सिर्फ एक आपराधिक घटना थी या इसके पीछे एक बड़ी साजिश है ?
–पूर्णिया की घटना के ठीक एक दिन बाद किशनगंज में एक दलित व्यक्ति की उसी मोहल्ले के मुसलमानों द्वारा गडासे से काटकर की गई हत्या भी क्या महज एक आपराधिक वारदात थी ?
– बिहार के लिए दोनों इलाके अंतरराष्ट्रीय सीमा बांग्लादेश से लगती है। और भारत में जिसे ‘ चिकन नेक ‘ कहा जाता है उससे महज 8 किलोमीटर दूरी पर यह दोनों घटनास्थल स्थित है।
8 जून 2021 को बांका के मदरसे में हुए ब्लास्ट से जहां पूरा मदरसा ही ढह गया। वही मदरसे का मौलवी इस विस्फोट में मारा गया। लेकिन विस्फोट के वक्त मदरसे में मौजूद सात से आठ लोग भागने में कामयाब रहे।
– बांका मदरसे में हुए विस्फोट की जांच एनआईए को सौंपी गई। आश्चर्य की बात यह है कि एनआईए जांच शुरू करें इसके पहले ही बिहार पुलिस जिसने इस विस्फोट को गैस सिलेंडर का विस्फोट बताया था। एनआईए जांच की बात सामने आते ही आनन-फानन में देसी बम विस्फोट की कहानी गढ़ दी।
बांका में जिस तरह की घटना हुई है उससे पश्चिम बंगाल के बर्धमान में हुए धमाकों की याद ताजा कर दी है। दरअसल वर्धमान की घटना में बांग्लादेश के आतंकी संगठन जमायत उल मुजाहिदीन का हाथ सामने आया था। अब यह देखना है कि एनआईए की जांच में क्या सामने आता है। क्योंकि वर्धमान के जिस मकान में विस्फोट हुआ था उसमें विस्फोटक से आईडी बम बना रहे थे। बांका में जहां विस्फोट हुआ वहाँ भी एक बॉक्स का हिस्सा मिला है।

8 जून को हुए बांका मदरसा में हुए ब्लास्ट के ठीक 24 घंटे बाद यानी 9 जून को बिहार के ही अररिया जिले में हुए धमाके की खबर ने सूबे के लोगों को सकते में डाल दिया। अररिया बम धमाके में मोहम्मद अफरोज नामक एक अधेड़ उम्र के व्यक्ति का दाहिना हाथ उड़ गया। और इसके आसपास कई जिंदा बम भी बरामद किए गए।
16 जून को दरभंगा रेलवे स्टेशन पर धमाका होने के बाद यह शक गहराने लगा है कि बिहार में कोई गहरी साजिश रची जा रही है। हालांकि दरभंगा रेलवे स्टेशन पर हुए विस्फोट के इंटेंसिटी ज्यादा नहीं थी। लेकिन अहम बात यह है कि धमाका किसी बारूद से नहीं बल्कि लिक्विड से हुआ था। दरभंगा रेलवे स्टेशन विस्फोट मामले की जांच भी एटीएस को सौंपी गई है।
-दरभंगा रेलवे स्टेशन पर हैदराबाद से आए पार्सल में धमाका हुआ था। महत्वपूर्ण बात यह है की पार्सल पाने वाले जगह पर दरभंगा के मोहम्मद सुफियान का नाम तो लिखा है। लेकिन पार्सल के पैकेट पर मोहम्मद सुफियान का पता फर्जी पाया गया है। तो क्या यह माना जाए कि आतंकी संगठन द्वारा बिहार में केमिकल बम बनाने की तैयारी शुरू की जा रही है।
जैश-ए-मोहम्मद के लिए काम करने वाले हिदायतुल्ला मलिक का बिहार कनेक्शन
इसी साल फरवरी में जम्मू कश्मीर के डीजीपी दिलबाग सिंह ने बताया कि दक्षिण कश्मीर के रहने वाले आतंकवादी हिदायतुल्ला मलिक ने बिहार से हथियार मंगाने के लिए नेटवर्क बनाया है। उन्होंने बताया था कि बिहार से अब तक 7 पिस्तौल मंगा कर आतंकवादियों के बीच बांट दिया गया है। दरअसल सुरक्षाबलों ने कुछ लड़कों को गिरफ्तार किया था जिसमें बिहार के तीन युवक भी शामिल थे। तब डीजीपी दिलबाग सिंह ने बताया था कि आतंकवादी हिदायतुल्ला ने पंजाब में पढ़ने वाले कश्मीर के कुछ छात्रों के साथ बिहार के कुछ छात्रों को भी अपने साथ शामिल कर लिया है। वह कश्मीर और जम्मू में किसी भी तरह की गतिविधि और बाहर से हथियारों को लाने के लिए उनका इस्तेमाल कर रहा था।

क्या दरभंगा आतंकवादियों के लिए पनाहगाह है ?
बिहार का दरभंगा जिला भी आतंकवादियों के लिए पनाहगाह के रूप में देखा जा रहा है। 2014 से पहले हुए देश में कई जगह पर बम ब्लास्ट के मामले में जितने आतंकी पकड़े गए थे उनमें से एक दर्जन दरभंगा जिले के ही रहने वाले थे। दरभंगा के कफील अहमद वसी, अहमद शेख मोहम्मद, आदिल गयूर अहमद, जमाली आफताब आलम जैसे कई नाम इसी जिले के थे। इसके अलावा नेपाल से सटे मोतिहारी जिले से इंडियन मुजाहिद्दीन के यासीन भटकल और अब्दुल असगर उर्फ हड्डी, मधुबनी के मदनी की गिरफ्तारी ने भी यह साबित कर दिया था कि बिहार को आतंकवादी अपने पनाहगाह के रूप में इस्तेमाल कर रहे हैं।
चिकन नेक कटने पर ही मुसलमानों को आजादी मिल सरकी है- शरजील ईमाम
जेएनयू (JNU) छात्र शरजील इमाम ने असम समेत पूरे उत्तर पूर्व भारत को शेष भारत से काटने की बात कही थी। जेएनयू में उसने कहा था कि ‘चिकन नेक’ के कटने से ही हम लोगों को आजादी मिल सकेगी। बता दें कि देशद्रोही बयान देने वाला यह शरजील इमाम भी बिहार के जहानाबाद का ही रहने वाला है। इसके बाद देशद्रोही बयान देने वाले शरजील इमाम पर देश के 6 राज्यों में देशद्रोह का मामला दर्ज कराया गया था। मुकदमा दर्ज होने के बाद शरजील इमाम भी नेपाल भागने की फिराक में था लेकिन पुलिस ने नेपाल भागने के पहले ही जहानाबाद से उसे गिरफ्तार कर लिया था।