
तुष्टीकरण को सही ठहराने के लिए हिंसा का लिया सहारा- अर्जुन मुंडा
झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री एवं केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा ने झारखंड सरकार के तुष्टिकरण के ख़िलाफ़ शांतिपूर्वक प्रदर्शन कर रहे कार्यकर्ताओं पर लाठीचार्ज की घटना की कड़ी निंदा की है।उन्होंने इसे शर्मनाक कहा है।श्री मुंडा ने कहा है कि जिस सदन में संविधान की रक्षा के लिए जनप्रतिनिधि चुन कर जाते हैं, वहां धार्मिक तुष्टिकरण नहीं होना चाहिए।यह भारतीय संविधान की मूल भावना के खिलाफ है। कार्यकर्ताओं और आम लोगों पर सरकार ने जिस बर्बरता से बल प्रयोग किया, उसकी जितनी भी निंदा की जाए, उतनी कम है।सरकार लाठी के दम पर जनता की आवाज को दबाना चाहती है, लेकिन इससे भाजपा कार्यकर्ता डरने वाला नहीं है।
पहेल ही आंदोलन में हिंसा पर उतर आई हेमंत सरकार तो बड़ी डरपोक निकली- बाबूलाल मरांडी
पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी ने कहा कि शांतिपूर्वक मार्च कर रहे भाजपा कार्यकर्ताओं पर पुलिस लाठीचार्ज का मैं पुरजोर विरोध करता हूं . उन्होने कहा कि हेमंत सरकार अंदर से डरी हुई है। ये छोटी-मोटी बात पर भी धमकी और हिंसा पर उतारू हो जाते हैं। कोरोना ने उनको डेढ़ साल बचा लिया। अभी तो पहला ही आंदोलन था, इतने भर से अगर सरकार लाठीचार्ज का सहारा लेगी तो फिर कैसे चलेगा। अभी तो उन्हें संसद से सड़क तक जवाब देना है. हेमंत सोरेन को पांच लाख रोजगार पर जवाब देना है, स्थानीयता पर जवाब देना है। इस तरह हिंसा करेंगे तो फिर सरकार कैसे चला सकेंगे।
तुष्टीकरण की राजनीति में और कितना गिरेगी हेमंत सरकार- बाबूलाल मरांडी
बाबूलाल मरांडी ने कहा कि हेमंत सरकार ने सता संभालते ही तुष्टिकरण की राजनीति शुरू कर दी थी। लोहरदगा दंगा हो या हजारीबाग में सड़क पर नमाज पढ़ने। झारखंड में सब कुछ खुल गया है, लेकिन मंदिर खोलने की अनुमति नहीं है। कोरोना के दौरान हिंदपीढ़ी में पुलिस असहाय दिखती है, तो जमशेदपुर में एक फल विक्रेता द्वारा हिंदू लिख देने भर से उस पर मुकदमा दर्ज कर दिया जाता है। वोट बैंक की राजनीति के लिए कितना गिरेगी हेमंत सरकार।