भोपाल: जहां एक तरफ शादी-पार्टियों और होटलों में बचे हुए खाने को अक्सर फेंक दिया जाता है, वहीं भोपाल की ‘रॉबिन हुड आर्मी’ इस बचे हुए खाने को गरीबों और जरूरतमंदों तक पहुंचाने का नेक काम कर रही है।
‘रॉबिन हुड आर्मी’ के युवा, बुज़ुर्ग और पेशेवर स्वयंसेवक, शहर के होटलों, मैरिज हॉल्स और पार्टियों से बचा हुआ खाना इकट्ठा करते हैं और इसे उन लोगों तक पहुंचाते हैं जिनके लिए एक वक्त का खाना भी सपना होता है।
खास बातें:
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कोई फंड या राजनीतिक समर्थन नहीं, केवल मानवता के लिए सेवा।
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1000 से ज्यादा स्वयंसेवकों की टीम, जिसमें युवा, महिलाएं और बुज़ुर्ग शामिल हैं।
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ये स्वयंसेवक अपने निजी वाहनों और पैसों से काम करते हैं।
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पिछले 8 वर्षों से हर दिन 200–300 लोगों को खाना खिला रहे हैं।
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50 से अधिक होटल और मैरिज हॉल से साझेदारी के ज़रिए खाना इकट्ठा किया जाता है।
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दूध से बने खाद्य पदार्थ नहीं लिए जाते, ताकि खाने की गुणवत्ता बनी रहे।
विवेक मिश्रा, जो इस आर्मी का हिस्सा हैं, बताते हैं:
“हमारे एक स्वयंसेवक फार्मा कंपनी में मैनेजर हैं। वे अपनी जेब से खर्च करके खाना इकट्ठा करते हैं और गरीबों को खिलाते हैं। 50% से अधिक स्वयंसेवक पेशेवर हैं, जो नौकरी के साथ यह सेवा भी करते हैं।”
खाना शाम 6 बजे तक होटलों से और रात 12:30 बजे तक शादी समारोहों से इकट्ठा किया जाता है। इससे पहले यह सुनिश्चित किया जाता है कि खाना स्वास्थ्यवर्धक और खाने लायक हो।
मानवता की मिसाल:
‘रॉबिन हुड आर्मी’ यह सुनिश्चित कर रही है कि भोपाल में कोई भी इंसान भूखा न सोए और खाना बर्बाद न हो। यह संस्था बिना किसी प्रचार या स्वार्थ के, सिर्फ समाज की सेवा के लिए कार्य कर रही है।