लंदन: भारतीय स्टेट बैंक (SBI) के नेतृत्व में बैंकों के एक समूह को ब्रिटेन की उच्च न्यायालय में विजय माल्या के खिलाफ दिवालियापन आदेश को बरकरार रखने में बड़ी कानूनी जीत हासिल हुई है। न्यायमूर्ति एंथनी मैन ने बैंकों की अपील स्वीकार की और विजय माल्या द्वारा दायर दोनों अपील याचिकाओं को खारिज कर दिया।
“दिवालिया आदेश बरकरार रहेगा,” – न्यायमूर्ति एंथनी मैन
पृष्ठभूमि:
यह मामला 2017 से लंबित है जब बैंकों ने भारत की ऋण वसूली अधिकरण (DRT) द्वारा दिए गए GBP 1.12 बिलियन के निर्णय को ब्रिटेन की अदालत में पंजीकृत कराया। यह ऋण किंगफिशर एयरलाइंस को दिए गए लोन और माल्या की व्यक्तिगत गारंटी से जुड़ा हुआ था। बैंकों ने सितंबर 2018 में माल्या के खिलाफ दिवालियापन याचिका दायर की थी, जिसे माल्या ने कई आधारों पर चुनौती दी।
हालांकि 2020 में लंदन की ICC अदालत ने कहा कि बैंकों के पास माल्या की संपत्तियों पर सुरक्षा है, जिससे दिवालियापन याचिका आंशिक रूप से दोषपूर्ण हो गई। इसके खिलाफ बैंकों ने अपील की और अब 2025 में यह फैसला उनके पक्ष में आया।
बैंकों के प्रतिनिधि TLT LLP ने कहा कि यह फैसला पुष्टि करता है कि बैंकों के पास माल्या की संपत्तियों पर कोई सुरक्षा अधिकार नहीं था और दिवालियापन याचिका वैध थी।
“यह बैंकों के लिए एक महत्वपूर्ण जीत है। हम 2017 से इस मामले में बैंकों की तरफ से कार्य कर रहे हैं,” – निक करलिंग, TLT LLP
माल्या की प्रतिक्रिया:
माल्या के वकील ली क्रेस्टोहल ने कहा कि वे दिवालियापन आदेश को रद्द कराने की कोशिशें जारी रखेंगे, और कर्नाटक हाईकोर्ट में भी कार्यवाही लंबित है जिसमें बैंकों से लेखा विवरण मांगा गया है।
माल्या वर्तमान में UK में जमानत पर हैं और एक “गोपनीय” कानूनी मुद्दा, संभवतः शरण (Asylum) आवेदन से संबंधित, प्रगति में है जिससे प्रत्यर्पण प्रक्रिया फिलहाल रुकी हुई है।