कोन्नागर से कैलिफोर्निया तक का सफर:
गौतम चटर्जी, जो कभी पश्चिम बंगाल के कोन्नागर के एक साधारण परिवार से आते थे, आज नासा के एक वरिष्ठ वैज्ञानिक के रूप में पूरी दुनिया में प्रसिद्ध हैं। बचपन में बंगाली माध्यम स्कूल में पढ़ाई करने वाले चटर्जी ने आगे चलकर अमेरिका में पीएचडी पूरी की और नासा से जुड़ गए। उन्होंने बताया कि उनका यह सफर आसान नहीं था, लेकिन विज्ञान के प्रति उनका जुनून और कड़ी मेहनत ने उन्हें इस मुकाम तक पहुंचाया।
नासा की असली खोज:
गौतम चटर्जी के अनुसार, नासा का असली कार्य केवल अंतरिक्ष में नई तकनीकों का विकास करना नहीं है, बल्कि जीवन और जल की उत्पत्ति जैसे महत्वपूर्ण वैज्ञानिक प्रश्नों के उत्तर खोजना भी है। उन्होंने कहा, “क्या जीवन किसी उल्का पिंड के साथ पृथ्वी पर आया? क्या मंगल या अन्य ग्रहों पर कभी पानी या जीवन था?” इन सवालों के जवाब खोजने के लिए नासा लगातार अनुसंधान कर रहा है।
मंगल ग्रह पर जीवन की खोज:
जब उनसे पूछा गया कि क्या मंगल ग्रह पर जीवन संभव है, तो उन्होंने बताया कि नासा ने कई छोटे और बड़े रोवर्स मंगल पर भेजे हैं, जो लगातार शोध कर रहे हैं। 2020 में भेजे गए एक रोवर को ऐसे स्थान पर उतारा गया था, जहां कभी झील थी। हालांकि, अभी तक वहां जीवन का कोई प्रमाण नहीं मिला है। इसके अलावा, मंगल पर हेलिकॉप्टर और ड्रोन भेजे गए हैं, ताकि वे उन जगहों पर जाकर जानकारी एकत्र कर सकें, जहां रोवर नहीं पहुंच सकता।
एलियन के अस्तित्व पर वैज्ञानिक की राय:
गौतम चटर्जी ने स्पष्ट किया कि अब तक पृथ्वी के बाहर जीवन का कोई ठोस प्रमाण नहीं मिला है। हालांकि, कुछ वैज्ञानिक मानते हैं कि ब्रह्मांड में अन्य ग्रहों पर जीवन की संभावना हो सकती है। उन्होंने कहा, “हम यह पता लगाने की कोशिश कर रहे हैं कि क्या कभी मंगल ग्रह पर जीवन था।” इसके लिए नासा लगातार नए उपकरण और मिशन विकसित कर रहा है।
सुनीता विलियम्स और अंतरिक्ष यात्रियों की वापसी:
सुनीता विलियम्स सहित अन्य अंतरिक्ष यात्रियों की सुरक्षित वापसी को लेकर चिंता बनी हुई थी। उन्होंने बताया कि अंतरिक्ष यान के तकनीकी कारणों से समस्या उत्पन्न हुई थी, लेकिन अब निर्णय लिया गया है कि वे 19 मार्च को एक नए कैप्सूल के माध्यम से पृथ्वी पर लौटेंगे। इस घटना से भविष्य में मंगल ग्रह पर भेजे जाने वाले अंतरिक्ष यात्रियों के लिए आवश्यक तैयारियों के बारे में भी महत्वपूर्ण जानकारी मिली है।
ISRO की सफलता पर गर्व:
गौतम चटर्जी ने भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) की उपलब्धियों की सराहना की। उन्होंने बताया कि ISRO लगातार नए प्रयोग कर रहा है और नासा के साथ भी मिलकर काम कर रहा है। उन्होंने विशेष रूप से नासा-इसरो सिंथेटिक अपर्चर रडार (NISAR) मिशन का जिक्र किया, जो प्राकृतिक आपदाओं की निगरानी और कृषि में सुधार के लिए उपयोगी साबित होगा। उन्होंने कहा, “यह मिशन भारत के लिए गर्व की बात है, क्योंकि यह वैज्ञानिक उपलब्धियों के क्षेत्र में हमारी प्रगति को दर्शाता है।”
अंतरिक्ष प्रदूषण की चिंता:
गौतम चटर्जी ने अंतरिक्ष में बढ़ते कचरे पर चिंता जताई। उन्होंने बताया कि दुनिया की कई अंतरिक्ष एजेंसियां लगातार नए स्पेसक्राफ्ट भेज रही हैं, लेकिन कोई भी देश अभी तक अंतरिक्ष को साफ रखने की दिशा में विशेष प्रयास नहीं कर रहा है। उन्होंने कहा कि स्पेस डेब्रिस (अंतरिक्ष कबाड़) को साफ करने के लिए संयुक्त रूप से काम करने की जरूरत है, लेकिन यह एक महंगा और जटिल कार्य है।
बचपन की यादें और विनम्रता:
अपने बचपन को याद करते हुए, चटर्जी ने बताया कि उनकी मां हमेशा उन्हें सिखाती थीं कि सफलता के बावजूद जमीन से जुड़े रहना चाहिए। उन्होंने कहा, “जब मैंने अपनी मां को नासा में नौकरी मिलने की खबर दी, तो उन्होंने कहा कि यह अच्छी बात है कि तुम आकाश में उड़ रहे हो, लेकिन हमेशा धरती से जुड़े रहो।” आज भी वे अपनी मां की इस सीख को अपने जीवन का मूलमंत्र मानते हैं।