नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को उस व्यक्ति की जमानत रद्द करने से इनकार कर दिया जिसे आतंकी संगठन आईएसआईएस (ISIS) का समर्थक होने के आरोप में UAPA के तहत गिरफ्तार किया गया था।
जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस एन कोटिश्वर सिंह की पीठ ने कहा कि आरोपी अम्मार अब्दुल रहीमान लगभग तीन साल तक न्यायिक हिरासत में रहा और ट्रायल में अभी समय लगेगा। कोर्ट ने यह भी माना कि आरोपी ने अब तक जमानत की शर्तों का उल्लंघन नहीं किया, वह नियमित रूप से ट्रायल कोर्ट में पेश हो रहा है और कार्यवाही में किसी प्रकार का बाधा नहीं डाली है।
पीठ ने कहा,
“हम जमानत रद्द करने का कोई आधार नहीं देखते हैं…”
हालांकि, राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) की इस दलील को स्वीकार किया गया कि ट्रायल पूरी होने तक आरोपी को विदेश यात्रा की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश दिया कि रहीमान बिना हाईकोर्ट की इजाजत के विदेश नहीं जा सकेगा।
दिल्ली हाईकोर्ट द्वारा मई 2024 में दी गई जमानत को सुप्रीम कोर्ट ने बरकरार रखा। आरोपी को 4 अगस्त 2021 को गिरफ्तार किया गया था और अब तक 44 गवाहों की गवाही हो चुकी है, जबकि अभियोजन पक्ष को 160 से अधिक गवाहों को पेश करना है।
NIA का आरोप है कि अम्मार अब्दुल रहीमान आईएसआईएस के प्रति कट्टर रूप से आकर्षित था और उसने जम्मू-कश्मीर और अन्य ISIS नियंत्रित इलाकों में हिजरत (धार्मिक प्रवास) करने के लिए षड्यंत्र किया ताकि वह भारत में खिलाफत की स्थापना और आतंकी गतिविधियों में शामिल हो सके।