
राग पासवान की याचिका दिल्ली हाइकोर्ट ने खारिज कर दी है। इस याचिका के जरिए चिराग पासवान ने लोकसभा अध्यक्ष के फैसले को चुनौती दी थी। लोकसभा अध्यक्ष ने पशुपति पारस को ही लोजपा संसदीय दल के नेता को तौर पर मान्यता दी थी। दिल्ली हाइकोर्ट के फैसले पर पशुपति पारस ने कहा कि वह मेरे भतीजे हैं, मैं उन्हें दुख नहीं पहुंचाना चाहता, लेकिन वह राह से भटक गए थे।
रामविलास की संपत्ति पर चिराग का अधिकार, लेकिन राजनीतिक वारिस मैं- पारस
पशुपति पारस ने कहा कि मैं अदालत के निर्णय का सम्मान करता हूं। राम विलास पासवान की संपत्ति पर चिराग पासवान का अधिकार है। लेकिन रामविलास पासवान के साथ मैंने परछाई की तरह जुड़ा रहा। हम दोनों ने गांव-गांव, घर-घर घूम पार्टी खड़ी की। इसलिए मुझे उनकी राजनीतिक विरासत मिली ।

कोर्ट ने क्या कहा ?
दिल्ली हाइकोर्ट ने कहा कि आप स्पीकर के पास जाइए, चुनाव आयोग के पास जाइए, लेकिन यह याचिका यहां स्वीकार नहीं की जा सकती। इसका कोई कानूनी आदार ही नहीं है। चिराग पासवन की ओर से दाखिल याचिरा में कहा गया था कि पार्टी विरोधी गतिविधियों और शीर्ष नेतृत्व को धोखा देने की वजह से एलजेपी पहले ही पशुपति पारस को पार्टी से बाहर निकाल चुकी है । वे अब लोक जनशक्ति पार्टी के सदस्य नहीं हैं । राष्ट्रीय कार्यकारिणी में कुल 75 सदस्य हैं और इनमें से 66 सदस्य हमारे साथ हैं । सभी ने इसे लेकर हलफनामा दिया है ।