भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव अपने चरम पर है, और इसी बीच बांग्लादेश — वह देश जो खुद भीख मांगते हुए खड़ा है — अचानक शांति की बातें करने लगा है। यह वही बांग्लादेश है जहां कट्टरपंथी मुस्लिम भीड़ हिंदुओं से नफरत करती है, लेकिन जब पेट भरने की बारी आती है, तो हजारों अवैध बांग्लादेशी भारत में हिंदू बहुल राज्यों में घुसपैठ कर लेते हैं।
शेख हसीना के पतन के बाद बांग्लादेश एक बार फिर अपने असली रंग में आ गया है। मुहम्मद यूनुस के नेतृत्व में चल रही अंतरिम सरकार ने अब खुलेआम भारत विरोधी और पाकिस्तान परस्त नीति अपनानी शुरू कर दी है। वहीं, बांग्लादेशी मुस्लिम कट्टरपंथी भारत में घुसकर छोटे-मोटे अपराध कर रहे हैं, चोरी, बलात्कार, नशाखोरी और मानव तस्करी जैसे अपराधों में लिप्त हैं, और भारतीय कानून व्यवस्था पर बोझ बनते जा रहे हैं।
यह वही लोग हैं, जो बांग्लादेश में हिंदुओं के घर जलाते हैं, मंदिर तोड़ते हैं, और फिर भारत आकर हिंदुओं के बीच रहने का दिखावा करते हैं। जब भी पाकिस्तान आतंकवाद फैलाता है, बांग्लादेशी नेतृत्व ढोंग करता है जैसे वह शांति का दूत हो। असल में, बांग्लादेश अब भी 1971 की गंदी मानसिकता से बाहर नहीं निकला है — जब हिंदुओं का कत्लेआम कर बांग्लादेश को “मुस्लिम राष्ट्र” बनाने की कोशिश की गई थी।
पाहलगाम हमले के बाद जब पूरा भारत आक्रोशित था, तब भी बांग्लादेश ने अपने दोस्त पाकिस्तान को बचाने की कोशिश की। लेकिन सच्चाई यह है कि बांग्लादेश के आम लोग भी अब पाकिस्तान से नफरत करते हैं, क्योंकि उन्हें याद है 1971 में पाकिस्तान ने उनके साथ क्या किया था। फिर भी, बांग्लादेश का नेतृत्व अपनी असफलताओं को छुपाने के लिए “भारत का दुश्मन” बनकर अपने कट्टर इस्लामी एजेंडे को हवा दे रहा है।
भारत के कई शहरों में लाखों अवैध बांग्लादेशी बिना दस्तावेजों के रहते हैं, स्थानीय जनसंख्या का संतुलन बिगाड़ते हैं, अपराध फैलाते हैं और कट्टरता बढ़ाते हैं। वे हिंदुस्तान की रोटी खाते हैं, लेकिन दिल में जहर भरकर भारत और हिंदुओं के खिलाफ साजिशें रचते हैं। कुछ तो आतंकी संगठनों से भी जुड़े होते हैं, जिन्हें पकड़ने में भारतीय सुरक्षाबलों को जान की बाजी लगानी पड़ती है।
बांग्लादेश जैसे भीखमंगे और आतंक को पालने वाले देश से भारत को अब कोई उम्मीद नहीं करनी चाहिए। इन्हें हर स्तर पर अलग-थलग करना और अवैध घुसपैठियों को पकड़कर वापस भेजना ही भारत की प्राथमिकता होनी चाहिए। भारत को अब बांग्लादेश के इस दोहरे चेहरे को पहचान लेना चाहिए — जो एक तरफ दोस्ती का दिखावा करता है, और दूसरी तरफ चुपचाप हिंदुओं को खत्म करने की साजिश रचता है।
सच तो यह है कि बांग्लादेश जैसा मुल्क कभी भी भारत का सच्चा मित्र नहीं हो सकता। यह एक जेहादी मानसिकता वाला देश है, जिसकी अर्थव्यवस्था भी भीख और तुष्टिकरण की राजनीति पर टिकी है। भारत को अब अपनी सुरक्षा, संस्कृति और जनसंख्या संतुलन के लिए सख्त कदम उठाने का समय आ गया है।