जेरूसलम: इज़राइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने शुक्रवार को खुलासा किया कि ईरान के खिलाफ किया गया बड़ा सैन्य अभियान ‘ऑपरेशन राइजिंग लायन’ अचानक नहीं बल्कि पहले से तय रणनीति के तहत किया गया था। यह ऑपरेशन नवंबर 2024 में अधिकृत किया गया था और इसे अप्रैल 2025 में अंजाम देने की योजना थी।
नेतन्याहू ने हिब्रू में दिए गए एक रिकॉर्डेड भाषण में कहा,
“मैंने नवंबर 2024 में ही रक्षा प्रतिष्ठानों को निर्देश दे दिए थे कि ईरान के परमाणु कार्यक्रम को समाप्त किया जाए।”
हालांकि, “ऑपरेशनल परिस्थितियों” के चलते इस हमले में देरी हुई और अंततः यह जून 2025 में अंजाम दिया गया।
⚔️ परमाणु खतरे को लेकर चेतावनी:
नेतन्याहू ने दावा किया कि ईरान के परमाणु कार्यक्रम को नष्ट किए बिना इज़राइल का अस्तित्व खतरे में था। उन्होंने कहा:
“अगर ईरान के पास परमाणु हथियार होते, तो हम यहां नहीं होते।”
उन्होंने एक दस्तावेज दिखाकर कहा कि ऑपरेशन की आधिकारिक योजना अप्रैल में थी। उन्होंने कहा कि यह हमला किसी राजनीतिक संकट या गाजा में बंधकों से ध्यान भटकाने के लिए नहीं था, जैसा कि आलोचकों ने आरोप लगाया है।
🧪 ईरान के बढ़ते परमाणु प्रयास:
नेतन्याहू ने यह भी कहा कि हिज़बुल्ला प्रमुख हसन नसरल्ला की हत्या के बाद, खुफिया जानकारी से पता चला कि ईरान ने अपने परमाणु कार्यक्रम को तेज़ कर दिया है। उन्होंने दावा किया कि ईरान अब इतनी मात्रा में यूरेनियम समृद्ध कर चुका है कि वह 9 परमाणु बम बना सकता है।
“अब ईरान सिर्फ समृद्ध कर नहीं रहा, बल्कि उसे हथियार में बदलने के प्रयास भी कर रहा है। अगर नहीं रोका गया, तो वह कुछ ही महीनों में परमाणु बम बना सकता है।”
🛡️ सावधानी की अपील और संभावित बदले की चेतावनी:
नेतन्याहू ने नागरिकों से अत्यधिक उत्साह में न आने की अपील की और कहा कि ईरान की जवाबी कार्रवाई संभव है।
“हमने ऑपरेशन में सफलता पाई है, लेकिन सतर्क रहना आवश्यक है। जवाबी हमलों की संभावना है और इसकी कीमत चुकानी पड़ सकती है।”
🇺🇸 अमेरिकी समर्थन पर नेतन्याहू का बयान:
नेतन्याहू ने यह भी बताया कि अमेरिका ने इस हमले में प्रत्यक्ष रूप से भाग नहीं लिया क्योंकि वह ईरान से बातचीत कर रहा था। हालांकि, उन्होंने उम्मीद जताई कि राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की नीतियों को देखते हुए अमेरिका का समर्थन इज़राइल को भविष्य में ज़रूर मिलेगा।