गुवाहाटी: असम सरकार ने बुधवार को एक ऐतिहासिक निर्णय लेते हुए राज्य के असुरक्षित और दूरदराज क्षेत्रों में रहने वाले मूल और स्वदेशी निवासियों को शस्त्र लाइसेंस प्रदान करने की योजना को मंज़ूरी दे दी।
इसकी घोषणा मुख्यमंत्री हिमंत बिस्व सरमा ने डिसपुर में हुई कैबिनेट बैठक के बाद की।
मुख्यमंत्री सरमा ने कहा:
“धुबरी, नागांव, मोरीगांव, बरपेटा, साउथ सलमारा और गोलपारा जैसे जिलों में, जहां हमारे स्वदेशी लोग अल्पसंख्यक हैं, वे लगातार सुरक्षा चिंताओं का सामना करते हैं। खासकर बांग्लादेश में हाल की घटनाओं के मद्देनज़र, वे सीमा पार से या अपने गांवों के भीतर भी हमलों के शिकार हो सकते हैं। इसलिए, इन असुरक्षित क्षेत्रों में हम उन्हें शस्त्र लाइसेंस प्रदान करेंगे।”
विशेष योजना का नाम:
“Special Schemes for Grant of Arms Licenses to Original Inhabitants and Indigenous Indian Citizens in Vulnerable and Remote Areas of Assam”
प्रमुख बिंदु:
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असम सरकार का यह कदम विशेष रूप से बांग्लादेशी मूल के मुस्लिमों की अधिकता वाले जिलों पर केंद्रित है।
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मुख्यमंत्री ने बरपेटा जिले के बघबर-जानिया क्षेत्र का उदाहरण दिया, जहां कुछ गांवों में केवल 500 स्वदेशी परिवार ही बचे हैं।
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उन्होंने कहा:
“यदि ऐसे परिवारों का कोई सदस्य अपनी सुरक्षा के लिए बंदूक खरीदना चाहता है, तो हम उन्हें उदारता से लाइसेंस देंगे।”
पृष्ठभूमि और उद्देश्य:
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स्वदेशी लोग भय के कारण अपने घर, ज़मीन और संपत्तियाँ छोड़ने को मजबूर हो रहे हैं।
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अब सरकार उन्हें सुरक्षा का भरोसा देकर उनके क्षेत्रों में मजबूती से रहने का अवसर देना चाहती है।
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मुख्यमंत्री ने कहा कि यह मांग असम आंदोलन (1979-85) के समय से उठती रही है, लेकिन अब जाकर इसे स्वीकार किया गया है।
मुख्यमंत्री का दृष्टिकोण:
“हम ‘जाति-माटी-भीटि’ (समुदाय-भूमि-जड़) के विजन के साथ आगे बढ़ रहे हैं। जहां भी स्वदेशी असमिया लोग अल्पसंख्यक हैं, उन्हें लाइसेंस मिलेगा।