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Assam Assembly Election: आसान नहीं है बीजेपी की राह

असम पारंपारिक रुप से कांग्रेस का गढ़ रहा है । आजादी से लेकर 1979 तक वहां कांग्रेस बिना किसी बड़े विरोध के राज करती रही । 1979 से 1985 तक विदेशियों के खिलाफ चले छात्र आंदोलन के कारण 1985 में वहां असम गण परिषद की सरकार बनी । लेकिन फिर अगले चुनाव में ही कांग्रेस ने दोबारा सरकार बना ली । 2001 में हुए चुनाव में भाजपा-असम गण परिषद और क्षेत्रिए पार्टियों के गठबंधन ने कांग्रेस को पराजित कर दिया और असम गण परिषद के प्रफुल्ल कुमार महंत एक बार फिर मुख्यमंत्री बने ।

2005 के बाद भाजपा और AIUDF का उदय

2005 में असम में दो नए राजनीतिक शक्तियों का उदय हुआ । पहली थी All India United Democratic Front (AIUDF)। इस पार्टी के मुखिया हैं बदरुद्दीन अजमल (Badruddin Ajmal) । बदरुद्दीन अजमल परफ्यूम के बड़े कारोबारी हैं और इन्होने लोअर असम के मुस्लिम बहुल इलाक़े में अपनी मजबूत पकड़ बना ली है । बदरुद्दीन अजमल की AIUDF खुद को बंगाली मुसलमानों का रहनुमा बताती है । 2005 में ही असम में भाजपा को अपने दम पर आंशिक सफलता मिली, जब उसने अकेले अपने दम पर 05 सीटें जीत ली ।

2016 में भाजपा की जीत के कारण

तरुण गोगोई के लगातार 10 साल के शासन की Anti-incumbency के साथ कांग्रेस के पराजय की सबसे बड़ी वजह थी उसके पारंपरिक मुस्लिम वोटरों का बदरुद्दीन अजमल की AIUDF की ओर शिफ्ट हो जाना । इसके अलावा भाजपा ने बड़ी चतुराई से असम गण परिषद और Bodoland People’s Front (BPF) के साथ गठबंधन कर लिया । इससे कांग्रेस विरोधी वोटरों को बिखरने का मौका नहीं मिला । इसके अलावा 2016 में भाजपा ने कुछ हद तक धार्मिक ध्रुवीकरण करने में भी सफलता पाई थी। बीजेपी का नारा था-बंग्लादेशी हिंदू “रिफ्यूजी” हैं और बांग्लादेशी मुसलमान “घुसपैठिए”

इस बार का समीकरण क्या कहता है ?

पिछले बार की गलती से सबक लेते हुए कांग्रेस ने इस बार AIUDF और वाम मोर्चा के साथ गठबंधन किया है । इतना ही नहीं कांग्रेस ने इस बार क्षेत्रीय दल आंचलिक गण मोर्चा (Anchalik Gana Morcha) को भी अपने गठबंधन में जोड़ लिया है । दूसरी ओर भाजपा-असम गण परिषद गठबंधन से इस बार Bodoland People’s Front (BPF) अलग हो गया है । BPF की कमी को पूरा करने के लिए भाजपा ने इस बार United Peoples’ Party Liberal (UPPL) को अपने साथ रखा है । UPPL को बोडोलैंड ऑटोनोमस काउंसिल के चुनाव में जीत मिली है ।

क्या हैं प्रमुख मुद्दे ?

कांग्रेस ने इस बार CAA-NRC को खूब उछाला है । कांग्रेस ने 2019 के एंटी सीएए आंदोलन के दौरान शहीद हुए लोगों की याद में CAA martyrs’ memorial बनाने का धादा किया है । इसके अलावा कांग्रेस का मुख्य नारा है- असोम बाशोम अहोक (Assam Basaon Ahok) , मतलब “Let’s Save Assam”

कांग्रेस Assam Accord का हवाला दे रही है जिसमे नागरिकता के लिए कट ऑफ डेट 1971 है। देश के दूसरे हिस्सों के उलट कांग्रेस का यहां कहना है कि मोदी सरकार का CAA लागू हो गया तो सभी घुसपैठिए को भारत की नागरिकता मिल जाएगी और असम के मूल निवासी अल्पसंख्यक हो जाएंगे ।

वहीं दूसरी ओर भाजपा असम में किए गये Infrastructure के विकास और मोदी सरकार की योजनाओं के सहारे मैदान मे है । अमित शाह ने कहा भी है कि असम में CAA-NRC कोई मुद्दा नहीं है ।

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