राजमहल विधानसभा क्षेत्र के पूर्व विधायक अरुण मंडल का रविवार को 68 वर्ष की उम्र में इलाज के दौरान निधन हो गया। पूर्व विधायक अरुण मंडल के भाई वरूण मंडल ने बताया कि बीते शुक्रवार को अचानक तबीयत बिगड़ गई। उन्हें इलाज के लिए मालदा के दिशारी नर्सिंग होम में भर्ती कराया । रविवार को अचानक तबीयत और ज्यादा बिगड़ने पर डॉक्टरों ने बेहतर इलाज के लिए कोलकाता रेफर कर दिया। एंबुलेंस से कोलकाता ले जाने के दौरान रविवार की देर रात रास्ते में ही उन्होने दुनिया को अलविदा कह दिया ।

पहली बार 2000 में चुनाव जीतकर बिहार विधानसभा पहुंचे
1999 के लोकसभा चुनावों में कांग्रेस पार्टी की ओर से चुनाव प्रचार किया था । लेकिन राजमहल विधानसभा क्षेत्र में जातीय समीकरण में चांय जाति की बहुलता और राजनीति में चांय जाति की ओर से अनुसूचित जाति में शामिल करने के आंदोलन में उसकी संगठन शक्ति को देखते हुए उन्हें पहली बार अविभाजित बिहार में 2000 में पहली बार भारतीय जनता पार्टी ने टिकट दिया। भाजपा का दांव सही रहा तथा अरुण मंडल भाजपा प्रत्याशी के रूप में राजमहल विधानसभा चुनाव जीत कर विधायक बने।
दूसरी बार 2009 में झारखंड विधानसभा में बनें विधायक
बाद में झारखंड राज्य बनने पर बाबुलाल मरांडी के सरकार बनाने पर उन्हें भाजपा विधायक दल का सचेतक बनाया गया था। 2005 के चुनाव में भाजपा ने अरुण मंडल को उम्मीदवार नहीं बनाया तथा कमल भगत को प्रत्याशी बनाया। अरुण मंडल ने बगावत कर निर्दलीय चुनाव लड़कर दुसरे स्थान पर रहे थे। भाजपा ने 2009 के चुनाव में उन्हें मौका दिया तो चुनाव जीत कर विधायक दल के सचेतक बने। लेकिन 2014 में टिकट नहीं मिलने पर उसे राजद से चुनाव लड़कर हार का मुंह देखना पड़ा था।
परिवार में कौन-कौन
अरुण मंडल मुलत: उधवा प्रखंड के बेगमगंज हाटपाड़ा के निवासी थे लेकिन उन्होंने लक्ष्मी देवी से शादी करने के पश्चात राधानगर में अपने नाना ससुर के घर स्थायी आवास बनाकर रह रहे थे। उन्हें दो पुत्र तथा तीन पुत्रियां हैं। पिता हरिश्चंद्र मंडल एक सीमांत किसान थे।छोटे भाई बरुण मंडल गैर सरकारी स्वामी विवेकानंद उच्च विद्यालय श्रीघर में शिक्षक रह चुके हैं।