मुंबई में सरकार की जगह क्या “माफिया राज” चल रहा है ? क्या कोई राज्य सरकार पैसे वसूलने के लिए बम प्लांट करवा सकती है? क्या पुलिस का इस्तेमाल सरकार जनता को डरा-धमका कर पैसे वसूलने के लिए कर सकती है । महाराष्ट्र में ये सब हो रहा है। कम से कम Antilia केस की जांच तो कुछ ऐसा ही इशारा कर रही है।

जैसे-जैसे मुंबई के Antilia केस की जांच आगे बढ़ रही है, वैसे-वैसे चौंकाने वाले खुलासे हो रहे हैं। एक सरकार जिसे लोगों ने चुना है, वह माफिया की तरह कनपटी पर बंदूक रखकर वसूली करने लगे तो इसे आप क्या कहेंगे? और इस वसूली के लिए पुलिस का इस्तेमाल करने लगे तो जनता फिर कहां गुहार लगाने जाएगी ? महाराष्ट्र की महा-अघाडी सरकार पर कुछ ऐसे ही संगीन आरोप लग रहे हैं। और ये आरोप कोई और नहीं बल्कि सरकार में बैठे लोग और उसी सरकार के मातहत काम करने वाली पुलिस के वरिष्ठ अधिकारी लगा रहे हैं।
अकेले मुंबई पुलिस ने पिछले डेढ़ साल में की 1300 करोड़ की वसूली ?
मुंबई पुलिस कमिश्नर परमवीर सिंह की माने तो सिर्फ मुंबई पुलिस ने पिछले डेढ़ साल में 1300 करोड़ रुपये वसूली कर गृहमंत्री को दिए हैं। सचिन वाझे ने अकेले करीब 500 करोड़ रुपये वसूली कर सरकार तक पहुंचाया है। सचिन वाझे के अलावा भी मुंबई पुलिस में कई ऐसे अफसर हैं जिन्हें वसूली के काम पर लगाया गया था। जब सिर्फ मुंबई शहर में, वो भी सिर्फ पुलिस विभाग इतनी वसूली करता है तो पूरे महाराष्ट्र के हर विभाग से होने वाली वसूली का बस अंदाजा ही लगाया जा सकता है। ये “माफिया राज” नहीं तो और क्या है।
पूरे महाराष्ट्र में जारी था धंधा
सिर्फ मुंबई ही नहीं, पुणे, नासिक, नागपुर की पुलिस को भी टार्गेट दिया गया था । उन्हें बजाप्ता हर व्यावसायिक प्रतिष्ठान की लिस्ट तैयार कर उनसे वसूली करने के आदेश थे। वो भी सीधे गृहमंत्री की ओर से । कंगना राणावत और ऋतिक रोशन केस हो, सुशांत सिंह राजपूत केस, या फिर Bollywood ड्रग्स केस में फिल्मी सितारों से बुलाकर पूछताछ करना, ये सब सिर्फ डरा-धमका कर पैसे वसूलने के तरीके थे। अर्णब गोस्वामी का दावा है कि अगर सही तरीके से जांच हो तो सरकार के अंदर का और भी घिनौना सच बाहर आएगा।
मुकेश अंबानी को धमकाकर फंस गए महाराष्ट्र के गृह मंत्री
कहते हैं कि इंसान का लालच बढ़ता जाता है। छोटे छोटे व्यापारियों और फिल्मी हस्तियों से वसूली से जी नहीं भरा तो सीधे मुकेश अंबानी पर ही हाथ डाल दिया। मुकेश अंबानी ने जब पैसे देने से इनकार कर दिया तो उन्हें डराने के लिए सचिन वाझे जैसे छोटे से “वसूली भाई” से Antilia के बाहर जिलेटिन लदी गाड़ी रखवाई गई। जिलेटिन इसलिए ताकि सिर्फ low intensity धमाका हो। मकसद सिर्फ डराना था, उन्हें मारना नहीं। धमकी भरा फोन तिहाड से करवाया गया। लेकिन महाराष्ट्र के गृहमंत्री शायद भूल गए थे कि मुंबई में “हर बाप का एक बाप” होता है ।
NIA जांच ने पूरा प्लान गड़बड़ा दिया
Antilia के बाहर जिलेटिन लदी गाड़ी मिलने से मुकेश अंबानी घबराइए नहीं बल्कि उन्होंने अपने ऊपर के लोगों से संपर्क किया। फडनवीस ने विधानसभा में सवाल उठाया और इस मामले की जांच NIA को सौंप दी गई। कहां महाराष्ट्र सरकार इस पूरे मामले की जांच सचिन वाझे से करवाने वाली थी, कहां NIA बीच में आ टपकी। घबराहट में गलती पर गलती होती गई। सबूत मिटाने के चक्कर में पहले मनसुख हिरेन की हत्या की गई, उसे आत्महत्या साबित करने के लिए मनसुख के मुंह में जबरदस्ती ड्रग्स ठूंसा गया और फिर उसे मुंबई क्रीक के खाई में धकेल दिया गया। जिस सलीम अब्दुल ने हत्या को अंजाम दिया, उसका भी मर्डर कर दिया गया।
सचिन वाझे की गिरफ्तारी से खुलने लगी परतें
NIA को पहले दिन से ही शक था कि मनसुख हिरेन की मौत Normal नहीं है। बाकी का काम आसान कर दिया मनसुख की पत्नी ने। उन्होंने अपना मोबाइल NIA को दे दिया जिसमें सचिन वाझे और मनसुख हिरेन के बीच कुछ बेहद गुप्त बातें थी । इसके बाद सचिन वाझे को NIA ने उठाया तो उसने खुद को वसूली गैंग का छोटा प्यादा बताया। महाराष्ट्र सरकार ने घबराहट में मुंबई पुलिस कमिश्नर को हटाया तो उन्होंने चिट्ठी बम विस्फोट कर वसूली का पहला पन्ना खोल दिया। अब “माफिया राज” के कुछ और पन्ने खुलेंगे या फिर सबकुछ मैनेज होगा, ये तो गुजराती “मोटा भाई” और “छोटा भाई” पर निर्भर करता है।