नई दिल्ली: पाकिस्तान और बांग्लादेश के साथ तनावपूर्ण संबंधों के बीच भारत ने अपनी कूटनीतिक रणनीति में बदलाव करते हुए श्रीलंका और मालदीव जैसे हिंद महासागर के पड़ोसी देशों के साथ संबंध मजबूत करने की दिशा में कदम बढ़ाए हैं।
श्रीलंका में आई नमक संकट और मालदीव में आर्थिक संकट के समय भारत की मदद ने यह स्पष्ट किया है कि पड़ोसी पहले (Neighbourhood First) नीति और MAHASAGAR विज़न के तहत भारत व्यावहारिक कूटनीति को प्राथमिकता दे रहा है।
श्रीलंका को भारत की नमक सहायता
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श्रीलंका में असमय बारिश के कारण 15,000 मीट्रिक टन से अधिक नमक बर्बाद हो गया।
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भारत ने तुरंत 3,050 मीट्रिक टन नमक भेजा — जिसमें से 2,800 मीट्रिक टन सरकारी और 250 मीट्रिक टन निजी क्षेत्र से आया।
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यह मदद भारत के वाणिज्य मंत्रालय द्वारा कोलंबो स्थित भारतीय दूतावास के सहयोग से की गई।
🇲🇻 मालदीव को आर्थिक राहत
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भारत ने मालदीव को दिए गए $50 मिलियन ट्रेजरी बिल की परिपक्वता तिथि को एक साल और बढ़ा दिया।
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यह पैकेज 2019 में भारत द्वारा दिए गए $200 मिलियन सहायता पैकेज का हिस्सा है।
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इस मदद के अंतर्गत SBI ने बिना ब्याज के बार-बार T-बिल्स को रिन्यू किया है।
उच्च स्तरीय बैठक और समर्थन
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मालदीव के विदेश मंत्री अब्दुल्ला खलील ने नई दिल्ली में India-Maldives High Level Core Group बैठक में भाग लिया।
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बैठक में रक्षा, सुरक्षा, स्वास्थ्य, व्यापार और लोगों से लोगों के जुड़ाव जैसे विषयों पर चर्चा हुई।
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खलील ने पहल्गाम आतंकी हमले की कड़ी निंदा की और भारत के साथ एकजुटता जताई।
विशेषज्ञों की राय
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ICRIER की प्रो. निशा तनेजा ने कहा कि भारत को श्रीलंका और मालदीव के साथ आर्थिक साझेदारी को और तेज करना चाहिए।
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मनोहर पर्रिकर रक्षा अध्ययन संस्थान की स्मृति पटनायक ने कहा कि भारत की यह सहायता उसकी Neighbourhood First नीति का हिस्सा है।
निष्कर्ष
भारत की श्रीलंका को नमक और मालदीव को वित्तीय राहत देना, इस बात को दर्शाता है कि भारत अब डिलीवेरेबल्स पर आधारित समुद्री कूटनीति की ओर बढ़ रहा है। जहां पाकिस्तान और बांग्लादेश के साथ संबंधों में अनिश्चितता है, वहीं भारत छोटे लेकिन रणनीतिक रूप से अहम देशों से व्यावहारिक सहयोग बढ़ा रहा है।