नई दिल्ली: रूस ने बुधवार को कहा कि उसके पास ऐसा विशेष तंत्र मौजूद है जिससे वह अमेरिका द्वारा भारत पर लगाए गए किसी भी दंडात्मक कदम का मुकाबला कर सकता है। रूस के उप मिशन प्रमुख रोमन बाबुश्किन ने यह भी कहा कि भारत और रूस के बीच ऊर्जा क्षेत्र में सहयोग जारी रहेगा, चाहे बाहरी दबाव कितना भी क्यों न हो।
उन्होंने कहा कि अमेरिका द्वारा भारत पर रूस से कच्चा तेल खरीदने को लेकर डाला जा रहा दबाव “अनुचित” है और यह वैश्विक आर्थिक स्थिरता और ऊर्जा सुरक्षा के लिए हानिकारक है।
हाल ही में अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने भारतीय वस्तुओं पर टैरिफ को दोगुना कर 50% कर दिया है और रूस से कच्चा तेल खरीदने पर अतिरिक्त 25% शुल्क भी लगाया है। हालांकि, चीन—जो रूस का सबसे बड़ा तेल खरीदार है—पर अमेरिका ने ऐसे कोई कदम नहीं उठाए।
बाबुश्किन ने कहा कि भारत ने राष्ट्रीय हित और बाज़ार की स्थिति को देखते हुए रूस से तेल खरीदना जारी रखा है। 2019-20 में भारत के कुल तेल आयात में रूस की हिस्सेदारी मात्र 1.7% थी, जो 2024-25 में बढ़कर 35.1% हो गई है। इस प्रकार रूस अब भारत का सबसे बड़ा तेल आपूर्तिकर्ता है।
उन्होंने स्पष्ट किया कि यदि भारत रूसी तेल खरीदना बंद कर दे तो यह पश्चिमी देशों के साथ किसी भी “पारस्परिक लाभकारी सहयोग” की ओर नहीं ले जाएगा। उन्होंने पश्चिमी शक्तियों की नीतियों को “नव-औपनिवेशिक” करार दिया।
रूसी राजनयिक ने यह भी कहा कि दोनों देश 2030 तक आपसी व्यापार को 100 अरब डॉलर तक ले जाने के लिए प्रतिबद्ध हैं। उन्होंने भरोसा जताया कि रक्षा और सुरक्षा क्षेत्र में भारत-रूस सहयोग और मज़बूत होगा।

