गंधार का अफगानिस्तान बन गया, उस दिन से अब तक वहां सुख-शांति है क्या ? पाकिस्तान बना, उस दिन से अब तक पाकिस्तान में सुख-शांति है क्या ? अखंड भारत (Akhand Bharat) के जो विभाग जो भारत नहीं कहलाते हैं उनमें दुख ही दुख है । ये बातें आरएसएस के सरसंघचाकल मोहन भागवत ने हैदराबाद में एक पुस्तक के विमोचन के दौरान कही ।
अखंड भारत का निर्माण संभव है
मोहन भागवत ने कहा कि आज भी अखंड भारत ((Akhand Bharat) का निर्माण संभव है। भारत-पाकिस्तान-अफगानिस्तान और बंग्लादेश के लोग हजारों सालों से सुख और शांति के साथ एक-दूसरे के साथ रहते आए हैं. हमारी संस्कृति, हमारा खान-पान, सोचने का तरीका एक ही तो है। सिंधु, गंगा, ब्रह्मपुत्र ही हमारी जीवनशैली तय करते हैं। उन्होने कहा कि लोग विदेशी पंथ का त्याग करें और सिंधु-गंगा-ब्रह्मपुत्र के आसपास के विचार, दर्शन को अपनाएं तो अखंड भारत का निर्माण हो सकता है।
अखंड भारत विस्तारवादी सोच नहीं
मोहन भागवत ने कहा कि जब हम अखंड भारत ((Akhand Bharat) की बात करते हैं तो इसे पश्चिमी नजरिए से विस्तारवादी सोच की तरह नहीं देखा जाना चाहिए। जब हम अखंड भारत की बात करते हैं तो इसका मतलब है इस इलाके के लोगों से है। लोग एक-दूसरे को अपना समझें, एक-दूसरे के सुख-दुख को अपना समझें, एक-दूसरे को अपना कुटुंब समझें तो यही अखंड भारत है. हमारे लिए अखंड भारत का मतलब लोगों से है, सरहदों से नहीं ।