
पिछले दो अगस्त को सीता सोरेन वामपंथी मजदूर संगठन एटक की प्रदेश उपाध्यक्ष बनाई गई । झामुमो ने 26 अगस्त को उन्हे कारण बताओ नोटिस जारी कर सात दिनों के अंदर जवाब मांगा था. सीता सोरेन ने जवाब भेजा या नहीं, इसे लेकर झामुमो नेता खामोश हैं। लेकिन अब एक ऐसे ही आरोप में झामुमो के दूसरे विधायक मथुरा महतो को कारण बताओ नोटिस भेजा गया है । उनसे भी सात दिनों के अंदर जवाब मांगा गया है।
सीता सोरेन और मथुरा महतो से क्यों नाराज है पार्टी ?
दरअसल, झारखण्ड मुक्ति मोर्चा का अपना एक मजदूर संगठन है जिसका नाम है – झारखण्ड कोलियरी मजदूर यूनियन (जे.सी.एम.यू) । लेकिन मथुरा महतो ने अपने पार्टी के मजदूर यूनियन को दरकिनार कर “बिहार कोलियरी कामगार यूनियन” का उपाध्यक्ष बनना स्वीकार किया है।

इसी प्रकार सीता सोरेन ने भी झामुमो के मजदूर यूनियन जे.सी.एम.यू की बजाय एटक का उपाध्यक्ष बनना स्वीकार किया। पार्टी के दो बड़े नेताओं द्वारा अपनी ही पार्टी के मजदूर यूनियन को दरकिनार करने से कार्यकर्ता निराश और हतोत्साह हैं। और तो और सीता सोरेन मे एटक के बहाने ही भाजपा विधायक ढुल्लू महतो के साथ मंच भी साझा किया।
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झामुमो में दोनों नेताओं को लेकर असंतोष
झारखंड मुक्ति मोर्चा के अंदर अपने करीब आदे दर्जन विधायकों को लेकर असंतोष है। ये विधायक समय-समय पर पार्टी लाइन से अलग हटकर सरकार की शर्मिंदगी का कारण बनते रहे हैं। इनमें लॉबिन हेम्ब्रम, नलीन सोरेन, सीता सोरेन, मथुरा महतो आदि लोग शामिल हैं। सीता सोरेन ने पार्टी के महासचिव विनोद पांडेय के खिलाफ गंभीर आरोप लगाए थे, उन्होने पार्टी के दफ्तर में जनता दरबार लगाया था और की मौके पर हेमंत सरकार पर सवाल उठा चुकी हैं। इसी प्रकार लॉबिन हेम्ब्रम ने सीएम हेमंत सोरेन के विधायक प्रतिनिधि पंकज मिश्रा पर अवैध रूप से बालू और पत्थर तस्करी के आरोप लगाए थे।
