गरीब सवर्णों को मिलेगा 10 फीसदी आरक्षण
रांची। झारखंड उच्च न्यायालय (Jharkhand High Court) के फैसले के बाद असिस्टेंट इंजीनियर की नियुक्ति का रास्ता साफ हो गया है। असिस्टेंट इंजीनियर की नियुक्ति में राज्य के गरीब सवर्णों को 10 प्रतिशत आरक्षण देने के मामले में हाईकोर्ट के न्यायाधीश न्यायमूर्ति रंगन मुखोपाध्याय और न्यायाधीश न्यायमूर्ति राजेश शंकर की अदालत ने एकल पीठ के आदेश को रद्द कर दिया है। साथ ही स्पष्ट आदेश दिया है कि राज्य के 10 प्रतिशत गरीब सवर्णों को आरक्षण का लाभ दिया जाना चाहिए।
अदालत ने राज्य सरकार और आयोग को शीघ्र नियुक्ति प्रक्रिया पूर्ण करने का आदेश दिया है। इससे पहले विगत 21 जनवरी 2021 को मुख्य परीक्षा की तिथि से 1 दिन पूर्व हाई कोर्ट की एकल पीठ ने विज्ञापन रद्द कर फिर से विज्ञापन निकालने का आदेश दिया था।
पूर्व में अदालत में सुनवाई के दौरान रंजीत कुमार शाह की ओर से अधिवक्ता सौरभ शेखर ने अपना पक्ष रखते हुए कहा था कि, असिस्टेंट इंजीनियर की नियुक्ति में गरीब सवर्णों को आरक्षण का लाभ देना उचित नहीं, क्योंकि असिस्टेंट इंजीनियर की जो नियुक्ति हो रही है, उसमें जो रिक्त पद है, वह वर्ष 2019 से पूर्व के हैं।
उन्होंने कहा था कि गरीब सवर्णों को आरक्षण देने का जो नियम बना है, वह 2019 में बना है। यह आरक्षण 2019 से लागू किया जा सकता, इससे पूर्व के रिक्त पद पर यह नियम लागू नहीं किया जा सकता। इसलिए इस याचिका को रद्द कर दिया जाए और फ्रेश विज्ञापन निकालने का आदेश दिया जाए।
दूसरी ओर राज्य सरकार और झारखंड लोक सेवा आयोग की ओर से अधिवक्ता प्रिंस कुमार ने अदालत में अपना पक्ष रखते हुए कहा कि, सरकार को यह अधिकार है कि वह चाहे तो आरक्षण दे सकती है, जब विज्ञापन निकाला जाता है, उस समय में जो नियम रहता है, उसी के अनुरूप आरक्षण लागू किया जाता है।