
एग्जिट पोल ने भाजपा को उत्तर प्रदेश में आश्वस्त कर दिया है कि उसकी सरकार एक बार फिर बनने जा रही है। गुरुवार को यह साफ भी हो जायेगा कि एग्जिट पोल ने भाजपा का कितना साथ दिया है। उत्तर प्रदेश में परिणाम चाहे जो भी हो आने वाले दिनों में यहां एक समीकरण और बन सकता है। वह है भाजपा का बसपा की ओर झुकाव। चुनाव परिणाम के बाद सम्भावना यह भी बन सकती है कि बसपा एनडीए सरकार का हिस्सा भी बन जाये। ऐसा करने के दूरगामी कारण हैं।
2024 में यूपी फतह के लिए बीजेपी का प्लान
भाजपा उत्तर प्रदेश में जीतती है तो अपने विजयी मिशन को आगे भी बढ़ाना चाहेगी। आगे का मतलब लोकसभा चुनाव। लोकसभा चुनाव में अब दो साल ही बचे हैं। अगले 2 वर्ष बाद इस समय तक लोकसभा का माहौल पूरा गर्म रहेगा। भाजपा 2024 में बसपा को इसलिए अपने साथ लेना चाहिए ताकि जातीय समीकरण को साधा जा सके। अभी समाप्त हुए विधानसभा चुनाव में भाजपा ने मायावती को मुकाबले बेबी रानी मौर्य को खड़ा किया था। मायावती और बेबी रानी मौर्य एक ही वर्ग से आती हैं। कल के चुनाव परिणाम के बाद यह तय हो जायेगा भाजपा का यह दांव कितना सही साबित हुआ है या इस दिशा में कोई चाल चलनी पड़ेगी।
भाजपा अगर मायावती को साथ लाती है तो दलितों का एक बड़ा वोट भाजपा की तरह आ सकता है। चूंकि चार बार मुख्यमंत्री रह चुकी मायावती उत्तर प्रदेश में दलितों की सबसे बड़ी नेता मानी जाती हैं। 2014 के आम चुनाव से बीएसपी के प्रदर्शन में भले काफी गिरावट आयी है, फिर भी पार्टी का वोट प्रतिशत बीस फीसदी के करीब रहा है।
मायावती को साधने के लिए क्या करेगी भाजपा?
उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनावों के दौरान मायावती ने कई बार ऐसे बयान दिये हैं कि समाजवादी पार्टी को रोकने के लिए वह भाजपा के साथ भी जा सकती हैं। मायावती का यह बयान भाजपा का बहुत काम आसान कर सकता है। सम्भावना यह बन सकती है कि भाजपा मायावती को उत्तर प्रदेश की राजनीति से हटा कर केन्द्र की राजनीति में ले आये। मायावती को किसी प्रदेश का राज्यपाल भी बनाया जा सकता है, हालांकि मायावती को इस पर आपत्ति हो सकती है। एक सम्भावना यह है कि भाजपा मायावती को राज्यसभा में भेज दे। भले ही यह अभी अटकल है, लेकिन अगर सम्भव हो जाये तो आश्चर्य नहीं होगा।