तिआनजिन (चीन): विदेश मंत्री एस जयशंकर ने मंगलवार को शंघाई सहयोग संगठन (SCO) की बैठक में कहा कि संगठन को अपने स्थापना उद्देश्यों के प्रति ईमानदार रहना चाहिए और आतंकवाद, उग्रवाद व अलगाववाद के खिलाफ अड़िग और कठोर रुख अपनाना चाहिए।
जयशंकर ने कहा कि भारत में 22 अप्रैल को हुआ पहलगाम आतंकी हमला जानबूझकर पर्यटन को प्रभावित करने और धार्मिक तनाव फैलाने के उद्देश्य से किया गया था। उन्होंने स्पष्ट कहा कि भारत इस तरह की घटनाओं से कभी नहीं झुकेगा और सख्ती से मुकाबला करता रहेगा।
जयशंकर ने कहा:
“SCO की स्थापना जिन तीन बुराइयों के खिलाफ हुई थी — आतंकवाद, अलगाववाद और उग्रवाद — वे अक्सर एक साथ दिखाई देते हैं। हाल ही में भारत में पहलगाम में हुए आतंकी हमले ने इसकी एक झलक दिखाई।”
उन्होंने यह भी कहा कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने इस हमले की कड़ी निंदा की है और दोषियों को सजा दिलाने की आवश्यकता पर बल दिया है, और भारत ने ऐसा करके दिखाया भी है।
🛡️ ऑपरेशन सिंदूर और SCO की भूमिका
जयशंकर ने यह बयान ऐसे समय दिया है जब भारत ने ऑपरेशन सिंदूर के तहत पाकिस्तान के कब्जे वाले क्षेत्रों में आतंकी ढांचे पर कार्रवाई की थी। इस ऑपरेशन के बाद चार दिनों तक दोनों देशों के बीच टकराव चला और अंततः 10 मई को सैन्य कार्रवाई रोकने का समझौता हुआ।
जयशंकर ने SCO में शामिल देशों को संबोधित करते हुए कहा:
“अगर SCO को अपने उद्देश्य पर खरा उतरना है, तो उसे आतंकवाद के खिलाफ किसी भी तरह की नरमी नहीं बरतनी चाहिए।”
🌐 भूराजनीतिक हालात और भारत की भूमिका
जयशंकर ने अपने संबोधन में कहा कि आज का विश्व अस्थिरता, संघर्ष, प्रतिस्पर्धा और दवाब से गुजर रहा है। उन्होंने SCO देशों से वैश्विक व्यवस्था को स्थिर करने, आर्थिक अस्थिरता से निपटने और अफगानिस्तान को विकास सहायता देने की अपील की।
“अफगानिस्तान लंबे समय से SCO के एजेंडे में है। क्षेत्रीय स्थिरता की जरूरत और वहां की जनता के प्रति हमारी चिंता हमें कदम उठाने के लिए बाध्य करती है।”
उन्होंने यह भी कहा कि ट्रांजिट सुविधा और कनेक्टिविटी की कमी SCO के आर्थिक सहयोग को प्रभावित कर रही है। उन्होंने इंटरनेशनल नॉर्थ-साउथ ट्रांसपोर्ट कॉरिडोर (INSTC) को बढ़ावा देने की बात भी रखी।
🇮🇳 भारत की पहलें और सहयोग का दृष्टिकोण
जयशंकर ने कहा कि भारत ने SCO के तहत स्टार्टअप, नवाचार, पारंपरिक चिकित्सा और डिजिटल पब्लिक इन्फ्रास्ट्रक्चर जैसे क्षेत्रों में पहल की है। भारत आगे भी ऐसे सुझावों का समर्थन करेगा जो साझा भलाई के लिए हों।
उन्होंने कहा:
“ऐसे किसी भी सहयोग को आपसी सम्मान, संप्रभुता की समानता और सीमाओं की अखंडता के सिद्धांतों पर आधारित होना चाहिए।”