एसीबी की पीई जांच में सीएम हेमंत सोरेन के पूर्व ओएसडी गोपालजी तिवारी दोषी पाए गए हैं. मिली जानकारी के अनुसार, पद का दुरुपयोग कर आय से अधिक संपत्ति अर्जित करने के मामले में एसीबी ने गोपालजी तिवारी को पीई जांच में दोषी पाया है. जांच रिपोर्ट के आधार पर एसीबी ने गोपालजी तिवारी पर मामला दर्ज करने की अनुशंसा की है. इसको लेकर एसीबी ने मंत्रिमंडल, निगरानी और सचिवालय विभाग से अनुमति मांगी है.
29 जुलाई को एसीबी ने गोपलाजी तिवारी खिलाफ पीई दर्ज किया था
पद का दुरुपयोग कर गलत तरीके से रुपये कमाने व आय से अधिक संपत्ति के मामले में गोपालजी तिवारी के खिलाफ एसीबी ने बीते 29 जुलाई को पीई दर्ज की थी. अधिवक्ता राजीव कुमार के बयान पर दर्ज पीई में गोपालजी तिवारी पर गलत तरीके से संपत्ति अर्जित करने और करीब 21.55 करोड़ रुपये के निवेश करने का आरोप है. उनपर जमीन व फ्लैट में बड़ी राशि निवेश करने और अनाधिकृत रूप से विदेश यात्रा का आरोप है.
सीएम ने एसीबी से जांच कराने का आदेश दिया था
सीएम हेमंत सोरेन ने बीते 24 जुलाई को ही आय से अधिक संपत्ति के मामले में गोपालजी तिवारी के खिलाफ एसीबी से जांच कराने का आदेश दिया था. यह पहला मामला है, जब मुख्यमंत्री ने अपने ही ओएसडी के खिलाफ एसीबी को जांच का आदेश दिया.
अधिवक्ता राजीव कुमार ने अपने शिकायत पत्र में गोपाल जी तिवारी के बेटे के नाम पर निवेश से संबंधित दस्तावेज भी मुख्यमंत्री को सौंपा था. जिसमें यह आरोप लगाया था कि मेसर्स किग्सले डेवलपर नामक एक कंपनी बनाई गई है, जिसमें गोपाल जी तिवारी का बेटा भी पार्टनर है. इस कंपनी का कार्यालय अशोक नगर रोड नंबर चार में है.
कंपनी का दूसरा पार्टनर डोरंडा के नाथ ऑफिस पाड़ा निवासी जयदेव चटर्जी, तीसरा पार्टनर मोरहाबादी आशाश्री गार्डन निवासी निलभ है. जिसके पिता का नाम जी तिवारी बताया गया है. शिकायत में बताया गया है कि जी तिवारी ही गोपाल जी तिवारी हैं, क्योंकि गोपाल जी तिवारी का जो पता है, निलभ का भी वही पता है