
रांची । सीएम हेमन्त सोरेन ने नए झारखण्ड विधानसभा और झारखण्ड उच्च न्यायालय के निर्माण कार्य में बरती गई वित्तीय अनियमितता की जांच ए.सी.बी से कराने का आदेश दिया है।
हाइकोर्ट के अधिवक्ता राजीव कुमार ने दायर की थी जनहित याचिका
झारखंड उच्च न्यायालय में हाई कोर्ट के नए भवन निर्माण में वित्तीय अनियमितता की जांच की मांग वाली जनहित याचिका दायर की गयी थी। हाइकोर्ट के अधिवक्ता राजीव कुमार ने हाई कोर्ट में जनहित याचिका दाखिल की थी। जिसमें कहा गया था कि अधिकारियों और निर्माण करने वाले संवेदक रामकृपाल कंस्ट्रक्शन लिमिटेड की मिलीभगत से वित्तीय अनियमितताएं हुई हैं।
आरकेएस कंस्ट्रक्शन और पूर्व मुख्य सचिव राजबाला वर्मा के बीच मिलिभगत का आरोप
शुरूआत में हाई कोर्ट भवन के निर्माण के लिए 365 करोड़ रुपये की प्रशासनिक स्वीकृति दी गई थी। बाद में 100 करोड़ घटा कर संवेदक को 265 करोड़ में टेंडर दे दिया गया। वर्तमान इसकी लागत बढ़कर लगभग 697 करोड़ रुपये का हो गया है। बढ़ी राशि के लिए सरकार से अनुमति भी नहीं ली गई और न ही नया टेंडर किया गया। वादी ने इस मामले की जांच सीबीआइ से कराने की मांग की थी। साथ ही, पूर्व मुख्य सचिव व संवेदक की भूमिका की भी जांच की मांग की थी।