बंगाल में जिस तरह से प्रशांत किशोर ने चीजों को पेश किया, उसकी वजह से पार्टी में अविश्वास पैदा हो गया। टीएमसी अब ममता बनर्जी के हाथों से फिसल चुकी है। अब यह अभिषेक बनर्जी के हाथ में है। अभिषेक बनर्जी ने प्रशांत किशोर को देखकर अपनी टीम बनानी शुरू की। ये कहना है बंगाल के वरिष्ठ पत्रकार शीलभद्र दत्ता का । वे कहते हैं कि अभिषेक बनर्जी ने पार्टी के सभी वरिष्ठ नेताओं को एक-एक कर बेइज्जत कर पार्टी छोड़ने को मजबूर किया, पार्टी को मिलने वाले पूरे फंड को अपने कब्जे में ले लिया। आज ममता बनर्जी का काम सिर्फ पार्टी के लिए प्रचार करने भर सीमित कर दिया गया है।
प्रशांत किशोर से TMC को फायदा या नुकसान
शीलभद्र दत्ता बोलते हैं कि चुनाव के बीच में, जब प्रशांत किशोर को कोलकाता में टिककर TMC का चुनाव प्रचार संभालना था, तब वो पंजाब में शिफ्ट कर गए । और तो और वे चंडीगढ़ से बयान दे रहे थे कि “Even if we loose…” । क्या किसी भी पार्टी के रणनीतिकार को पहले चरण के चुनाव के बाद ही इस तरह का बयान देना चाहिए? दूसरा, इस बार TMC के टिकट बांटने की पूरी जिम्मेदारी अभिषेक बनर्जी और प्रशांत किशोर की थी । ऐसे में जीत-हार की पूरी जिम्मेदारी भी इन्हीं दोनों को लेनी चाहिए।
TMC के 10 सालों पर बात क्यों नहीं कर रही TMC ?
अपने चुनाव प्रचार के दौरान अभिषेक बनर्जी “खेला होबे” पर डांस करते दिखते हैं। वे BJP पर बाहरी होने और टूरिष्ट नेता जैसे आरोप भी लगाते हैं, लेकिन 10 सालों के TMC शासन पर बोलने के लिए उनके पास कुछ नहीं है। वे जनसभाओं में धमकी देते हैं, चुनाव बाद सबको देख लेने की बात करते हैं, पर जीतने के बाद जनता को क्या मिलेगा, इसपर खामोशी साध लेते हैं। ऐसा किस रणनीति के तहत किया जा रहा है, किसी की समझ में नहीं आ रहा ।
मुसलमानों के अलावा किसी भी वर्ग में TMC के प्रति उत्साह नहीं
स्थानीय पत्रकार बताते हैं कि TMC को समर्थन देने वालों में एक मुसलमान बिरादरी ही वोकल दिख रहा है। इसका कारण दूसरा है। मुसलमान TMC के प्रति प्रेम के कारण नहीं, बल्कि BJP से नफरत की वजह से सक्रिय है ।