येदियुरप्पा चार बार कर्नाटक के मुख्यमंत्री बनें, लेकिन हर बार उन्हें इस्तीफा देना पड़ा । लेकिन इस बार इस्तीफा देते वक्त वो रो दिए…उनकी आखों से छलकते आंसू का असर कहिए या लिंगायत समुदाय का उनके प्रति भावनात्मक जुड़ाव, दुकानों के शटर धड़ाधड गिरने लगे । उनके विधानसभा क्षेत्र शिकारीपुरा में तो उनके इस्तीफे के विरोध में दुकानें और बाजार बंद रहे ।

अब सवाल यह है कि येदियुरप्पा ने इस्तीफा क्यों दिया? इस दौर में जब मोदी-शाह की आलोचना “ईशनिंदा” के समान हो गई हो, मैं जोखिम ले रहा हूँ। सबसे बड़ा कारण है कि येदियुरप्पा कभी मोदी-शाह की पसंद नहीं रहे । कारण, उन्होंने कभी दोनों को उतना भाव नहीं दिया, जितना सर्वानंद सोनोवाल या रघुवर दास जैसे लोग दे सकते हैं।
ये भाजपा का कांग्रेसीकरण ही है । गांधी परिवार को जो पसंद नहीं, वो कांग्रेस से आउट और जो मोदी-शाह को पसंद नहीं वो भाजपा से …वसुंधरा राजे, योगी आदित्यनाथ और येदियुरप्पा इस गर्मी को महसूस कर रहे हैं, शिवराज सिंह चौहान ससमय संभल गए, वो नतमस्तक होकर बच गए …VHP वाले प्रवीण तोगडिया, संजय जोशी आदि नहीं समझ सके, लिहाजा राजनीतिक बियाबान में भटक रहे हैं।
अपने इस्तीफे के वक्त येदियुरप्पा ने भावुक होते हुए कहा कि मैंने साइकिल पर घूम-घूमकर कर्नाटक में बीजेपी को मजबूत किया। So what! कुछ ऐसा ही हेमंत विस्वसरमा ने राहुल गांधी को कहा था, उनको भी यही जवाब मिला था:- So what ! खैर राजनीति जब व्यक्ति सेंट्रिक हो जाती है तो ऐसा ही होता है। सामूहिक निर्णय की परंपरा अब शायद खत्म सी होती जा रही है।

खैर अब चाहे जो हो, लेकिन भाजपा को कर्नाटक में किसी लिंगायत को ही मुख्यमंत्री बनाना होगा । वहां का माहौल ही कुछ ऐसा हो चला है। आखिर कर्नाटक की कुल आबादी के 19% लिंगायत हैं, ये हमेशा से बीजेपी को सपोर्ट करते आए हैं, इनकी नाराज़गी को बीजेपी अफोर्ड नहीं कर सकती ।
येदियुरप्पा सरकार में खनन मंत्री रहे लिंगायत समुदाय के मुर्गेश निराणी का नाम आ रहा है, पर समस्या है कि मुर्गेश निराणी भी येदियुरप्पा के ही आदमी हैं । यहां भी मोदी-शाह का ईगो आड़े आ रहा है। दूसरा विकल्प मोदी-शाह की पसंद ब्राह्मण नेता प्रह्लाद जोशी हैं, लेकिन प्रह्लाद जोशी दूसरे सर्वानंद सोनोवाल साबित होंगे। उनकी छवि शाह के चमचे की ज्यादा और जमीनी नेता की कम है ।
वैसे क्या फर्क पड़ता है? कौन सा आजकल बीजेपी के प्रदेश अध्यक्षों का चुनाव संगठन के अंदर वोटिंग से हो रहा है? लगभग सभी राज्यों में तो मोदी-शाह-नड्डा का चयन ही तो है । संगठन चुनाव नाम के शब्द अब राजनीति की डिक्शनरी में हैं कहां?