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देवघर एम्स के उद्घाटन समारोह के बहाने फिर सुलग उठी सियासत

देवघर एम्स के उद्घाटन समारोह में निशिकांत दूबे की मौजूदगी से किसे है एतराज?
देवघर एम्स के उद्घाटन समारोह में निशिकांत दूबे की मौजूदगी से किसे है एतराज?

उज्ज्वल दुनिया

देवघर । झारखंड का कोई सांसद अगर अपने क्षेत्र में बड़े-बड़े प्रोजेक्ट लेकर आने में सफल रहा तो वो है निशिकांत दूबे । देवघर एयरपोर्ट, देवघर में एम्स, गोड्डा में रेलवे आदि । है कोई झारखंड का ऐसा संसदीय क्षेत्र जिसमें इतने बड़े-बड़े प्रोजेक्ट आए हों ? इसके लिए तो निशिकांत दूबे को क्रेडिट देना ही होगा ।

अगर अपने क्षेत्र में निजी निवेश लाने की भी बात हो तो अडाणी अपना सबसे बड़ा प्रोजेक्ट भी गोड्डा संसदीय क्षेत्र में ही लेकर आए थे, लेकिन किसी कूपमंडूक के विरोध के कारण थोड़ा इधर-उधर हुआ ।

देवघर एम्स के उद्घाटन समारोह में राजनीति

संथाल परगना की एकमात्र सामान्य सीट के सांसद और झारखंड के मुख्यमंत्री के बीच असामान्य रिश्तों की एक अलग कहानी है। दोनों के बीच कटुता इतनी बढ़ गई है कि देवघर एम्स के उद्घाटन समारोह में निशिकांत दूबे की मौजूदगी भी राज्य सरकार को गंवारा नहीं। ऐसा क्यों है, ये सबको पता है । लेकिन प्यादे के तौर पर डीसी को आगे कर दिया गया है।

निशिकांत दूबे की मानें तो

केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन ने कहा है कि या तो इलाके के सांसद देवघर एम्स के उद्घाटन समारोह में मौजूद रहेंगे या फिर उद्घाटन समारोह ही रद्द होगा ।

गोड्डा में पहली ट्रेन के उद्घाटन समारोह में हुई थी झड़प

अभी ज्यादा दिन नहीं हुए हैं जब गोड्डा रेलवे के मानचित्र पर दर्ज हो गया। लेकिन उसके उद्घाटन समारोह में जो हंगामा हुआ वो सबने देखा । प्रदीप यादव और निशिकांत दूबे एक दूसरे से लगभग उलझ ही चुके थे। किसी तरह दोनों को अलग किया गया। झगड़े का बहाना जो भी हो, लेकिन निशिकांत दूबे और सत्ताधारी पार्टियों के बीच कटुता छिपी नहीं है।

देवघर के पंडा समाज और निशिकांत दूबे के बीच विवाद पैदा करने की कोशिश

गोड्डा संसदीय क्षेत्र में ब्राह्मणों, मुसलमानों और अति पिछड़ी जातियों की अच्छी खासी संख्या है । मुसलमानों ने निशिकांत दूबे को कभी वोट नहीं दिया। कोरोना के पहली लहर के दौरान देवघर के बाबाधाम मंदिर में पूजा के बहाने निशिकांत दूबे और पंडा समाज के बीच खाई पैदा करने की गंदी राजनीति भी सबने देखी । देवघर के लोग जानते हैं कि इस पूरे विवाद में किसे राज्य सरकार की ओर से obliged किया गया।

पूंजी और जनाधार दोनों से मजबूत हैं निशिकांत दूबे, केंद्र सरकार में भी अच्छी पकड़

निशिकांत दूबे भाजपा के अंदर के एक गुट से भी लड़ रहे हैं और विरोधी दलों से भी । अगर भाजपा के अंदर की बात करें तो सबने देखा है कि मधुपुर उप चुनाव में निशिकांत और बाबूलाल की जोड़ी पूरी ताकत के साथ गंगा नारायण सिंह को जीताने में जुटी थी , लेकिन कुछ लोग भितरघात में जुटे थे । वहीं विपक्ष की बात करें तो हेमंत सोरेन और निशिकांत दूबे के बीच लड़ाई इतनी तीखी है कि मामला कोर्ट में चल रहा है।

बाबूलाल मरांडी और निशिकांत दूबे संथाल में भाजपा को मजबूती देने में जुटे

अब निशिकांत और बाबूलाल की यही जोड़ी संथाल परगना फतह की रणनीति तैयार करने में जुटी है। और इसी जोड़ी को मात देने के लिए झारखंड मुक्ति मोर्चा भी एड़ी-चोटी का जोर लगाए हुए है । इसमें हेमंत सोरेन को इरफान अंसारी, हफीजुल हसन और प्रदीप यादव जैसे ग़ैर झामुमो नेताओं का भी साथ मिल रहा है।

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