पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास ने मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन को पत्र लिखकर पूछा है कि पिछले दो सालों में आपकी सरकार ने कितने लोगों को सरकारी नौकरी दी, इसकी जानकारी दें । रघुवर दास ने यह भी पूछा है कि मेरी सरकार के दौरान कितनी नियुक्तियां हुई और आपकी सरकार ने कितने आदिवासी-मूलवासी को नौकरी दी, इसका आंकड़ा सार्वजनिक करें ।
हाई स्कूल टीचर के साढ़े 17 हजार पदों को नियुक्ति पत्र कब देंगे ?
रघुवर दास ने अपने पत्र में लिखा है कि हमारी सरकार ने राज्य में स्थानीय नौजवानों को नौकरी में प्राथमिकता देने के उद्देश्य से हाई स्कूल टीचर के 17,572 पदों पर विज्ञापन संख्य 21/2016 में रिक्तियां निकालीं। 2018 में परीक्षाफल आया और 2019 में नियुक्तियां शुरू हुई। हमारी सरकार के कार्यकाल में लगभग 90 प्रतिशत पदों पर बहाली हो गयी। केवल इतिहास और नागरिकशास्त्र विषय के 626 सफल अभ्यार्थियों को नियुक्ति की जानी थी। इनकी नियुक्ति की अनुशंसा भी हो गयी है। केवल नियुक्ति पत्र दिया जाना है। शिक्षा विभाग ने 18 फरवरी 2021 को इनकी नियुक्ति पर रोक लगा दी, जबकि 11 गैर अनुसूचित जिलों में से देवघर में नियुक्ति की जा चुकी है।
सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बावजूद नियुक्ति पत्र देनें में आनाकानी क्यों ?
अपनी नियुक्तियों के लिए ये सफल अभ्यार्थी माननीय उच्च न्यायालय की शरण में गये, तो माननीय न्यायालय ने 11 फरवरी 2021 को शिक्षा विभाग को छह सप्ताह में नियुक्ति देने का आदेश दिया था। उस समय सोनी कुमारी वाले मामले की आड़ में शिक्षा विभाग ने 18 फरवरी को इनकी नियुक्ति पर कार्मिक विभाग को पत्र लिख कर रोक लगवा दी। इस बीच आपकी सरकार के एक अपरिपक्व निर्णय के कारण हाई स्कूल में नौकरी पाये झारखंडवासियों की नौकरी पर संकट आ गया। इसके खिलाफ सोनी कुमारी व अन्य अभ्यार्थी माननीय सर्वोच्च न्यायालय तक गये। 9 जुलाई 2021 को माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने 13 अनुसूचित जिले व 11 गैर अनुसूचित जिलों में हुई बहाली को सही ठहराया दिया। इसके बाद इतिहास व नागरिकशास्त्र के सफल अभ्यार्थियों के साथ बाकी नियुक्तियों का भी रास्ता साफ हो गया। लेकिन अब भी आपकी सरकार इन्हें नियुक्ति पत्र देने में आनाकानी कर रही है।
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पंचायत सचिव और पारा टीचरों के मामले में भी लटकाने वाला रवैया
रघुवर दास ने सीएम हेमन्त सोरेन से पूछा है कि वर्ष 2021 को आपने नियुक्ति वर्ष घोषित किया है। आधे से ज्यादा साल बीत गया अभी तक आपकी सरकार नयी नियमावली नहीं बना पायी है। एक माह में नियमावली में सुधार (आपके अनुसार सुधार की जरूरत है) का दावा भी अब पूरा होता नहीं दिख रहा है। इसी प्रकार पंचायत सचिव, सहायक पुलिस, पारा शिक्षक आदि हर कोई आंदोलन करने को मजबूर हैं। पारा शिक्षकों के मामले में तो नियमावली, वेतनमान, कल्याण कोष के गठन समेत अन्य चीजों का हमारी सरकार ने ड्राफ्ट तैयार कर लिया था। अब केवल जरूरत है, उसे कैबिनेट में लाकर पारित करने की। लेकिन आपकी सरकार की नियत युवाओं को रोजगार देने की नहीं लगती है।
आदिवासी- मूलवासी को ही रोजगार दे देते ?
रघुवर दास ने तंज करते हुए कहा कि बड़े-बड़े वादे कर आपने सत्ता हासिल कर ली और अब आप झारखंड के युवाओं को छलने का काम कर रहे हैं। अबुआ राज में कब तक झारखंडवासी छले जायेंगे। अब सवाल यह उठता है कि पांच लाख सालाना रोजगार देने के वादे से आयी आपकी सरकार लोगों को नये रोजगार तो दे नहीं पा रही है, बल्कि जिन्हें रोजगार मिला हुआ है, उनसे रोजगार छिन रही है। क्या झारखंडवासियों को झारखंड में रोजगार करने का अधिकारी नहीं है। केवल इसलिए कि उन्हें भाजपा के शासनकाल में रोजगार मिला। आपकी लड़ाई भाजपा से होनी चाहिए, इन युवाओं से नहीं।