
रांची : 2 जी, 3 जी या 4 जी की तरह ही 5 जी के मोबाईल नेटवर्क अथवा टावर से मानव अथवा अन्य जीवों के स्वास्थ्य पर कोई प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ता| विश्व स्वास्थ्य संगठन एवं भारत में समय-समय पर गठित विशेषज्ञों की समितियों द्वारा भी यह स्वीकार किया गया है| इसके बावजूद मोबाईल नेटवर्क अथवा टावरों से हानिकारक विकिरण की अफवाहें फैलायी जाती हैं, इन अफवाहों के प्रति लोगों को जागरूक करते हुए सही तथ्यों की जानकारी देने के लिए भारत सरकार निरंतर प्रयत्नशील है| राज्यसभा में गुरुवार को सांसद महेश पोद्दार के प्रश्न का लिखित उत्तर देते हुए संचार राज्यमंत्री देबू सिंह चौहान ने यह जानकारी दी|
राज्यमंत्री देबू सिंह चौहान ने बताया कि किसी भी टेक्नोलॉजी अर्थात 2 जी, 3 जी, 4 जी या 5 जी के मोबाईल टावर गैर आयनीकृत रेडियो फ्रीक्वेन्सी का उत्सर्जन करते हैं| उपयोग की जा रही किसी भी टेक्नोलॉजी में मोबाईल टावर से होनेवाले ईल्क्ट्रो मैग्नेटिक फील्ड रेडिएशन, इंटरनेशनल कमीशन ऑन नॉन आईओनाईजिंग रेडिएशन प्रोटेक्शन (आई सीएनआईआरपी) द्वारा निर्धारित की गयी सुरक्षित सीमाओं से नीचे हैं| उनके स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव डालने के कोई संतोषजनक वैज्ञानिक साक्ष्य उपलब्ध नहीं हैं|
फरवरी 2020 में विश्व स्वास्थ्य संगठन ने स्पष्ट किया है कि “आज की तारीख तक और गहन अनुसंधान के बाद वायरलेस टेक्नोलॉजी के सम्पर्क से स्वास्थ्य पर कोई प्रतिकूल प्रभाव नहीं पाया गया है|”
हालांकि सरकार ने माना कि विभिन्न सार्वजनिक मंचों पर 5 जी तकनीक को लेकर भ्रामक तथ्यों के आधार पर दुष्प्रचार किया जा रहा है| सरकार विभिन्न सूचना माध्यमों का इस्तेमाल कर जनता की आशंकाओं को दूर करने और तथ्यपूर्ण जानकारी उपलब्ध कराने का प्रयास कर रही है|