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26/11 मुंबई हमलों के आरोपी राणा की याचिका खारिज, भारत प्रत्यर्पण का रास्ता साफ: अमेरिका की सुप्रीम कोर्ट का फैसला

न्यूयॉर्क: अमेरिका की सुप्रीम कोर्ट ने मुंबई 26/11 आतंकी हमलों के आरोपी तहव्वुर राणा की याचिका को खारिज कर दिया है, जिससे अब उन्हें भारत प्रत्यर्पित किए जाने का रास्ता साफ हो गया है। 64 वर्षीय राणा, जो पाकिस्तानी मूल के कनाडाई नागरिक हैं, इस वक्त लॉस एंजेलिस की मेट्रोपॉलिटन डिटेंशन सेंटर में बंद हैं।

राणा पर आरोप है कि वह पाकिस्तानी-अमेरिकी आतंकवादी डेविड कोलमैन हेडली का सहयोगी था, जिसने मुंबई हमलों से पहले भारत में रेकी की थी और राणा की इमिग्रेशन कंसल्टेंसी फर्म की आड़ में भारत आया था।

राणा ने अमेरिका की सुप्रीम कोर्ट में एक ‘एमरजेंसी अपील’ दायर कर प्रत्यर्पण पर रोक लगाने की कोशिश की थी, जिसे पहले न्यायमूर्ति एलेना कगन ने खारिज कर दिया था। इसके बाद राणा ने यह अपील मुख्य न्यायाधीश जॉन रॉबर्ट्स के समक्ष दोबारा प्रस्तुत की, लेकिन पूरी अदालत ने 6 अप्रैल को इसे सर्वसम्मति से खारिज कर दिया।

बयान के मुताबिक, सुप्रीम कोर्ट के इस निर्णय के बाद अब भारत सरकार राणा को प्रत्यर्पित करने की प्रक्रिया को अंतिम रूप दे सकती है।

अमेरिका में पहले ही दोषी करार:
राणा को अमेरिका की अदालत पहले ही डेनमार्क में आतंकी हमले की साजिश रचने और लश्कर-ए-तैयबा को सहायता देने के मामलों में दोषी ठहरा चुकी है — वही संगठन जो 26/11 के हमलों का जिम्मेदार है।

राणा की दलीलें:
राणा के वकीलों ने दावा किया कि

  • भारत में भेजे जाने पर राणा को “यातना” झेलनी पड़ सकती है,

  • वह मुस्लिम और पाकिस्तानी मूल के हैं, जिससे खतरा और बढ़ जाता है,

  • उनकी गंभीर स्वास्थ्य स्थितियां भारत की जेलों में उन्हें “मृत्यु सजा जैसा अनुभव” करवा सकती हैं।

राणा के वकीलों ने यह भी कहा कि अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने भारत के अनुरोध पर 11 फरवरी को राणा के प्रत्यर्पण को मंजूरी दी थी, एक दिन पहले ही जब पीएम मोदी वॉशिंगटन पहुंचे थे। राणा के वकीलों ने प्रशासन से यह भी पूछा कि क्या भारत ने कोई गारंटी दी है राणा की देखरेख और इलाज के संबंध में, लेकिन अमेरिका ने इसका कोई जवाब नहीं दिया।

राजनीतिक संदर्भ:
राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने पीएम मोदी के साथ एक साझा प्रेस कॉन्फ्रेंस में राणा को “बहुत खतरनाक आतंकी” करार देते हुए कहा था कि “उसे भारत भेजा जाएगा, जहां वह अपने अपराधों के लिए न्याय का सामना करेगा।”

पृष्ठभूमि:
2008 के मुंबई आतंकी हमलों में 166 लोग मारे गए थे, जिनमें 6 अमेरिकी नागरिक भी शामिल थे। 10 पाकिस्तानी आतंकवादियों ने तीन दिन तक मुंबई को बंधक बनाकर ताज होटल, छत्रपति शिवाजी टर्मिनस और नरीमन हाउस जैसे प्रमुख स्थानों पर हमला किया था।

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