नई दिल्ली: मुंबई पर 26/11 के कायरतापूर्ण आतंकवादी हमले की साजिश में शामिल तहव्वुर हुसैन राणा को आखिरकार अमेरिका से प्रत्यर्पण के बाद भारत लाया गया और शुक्रवार को 18 दिन की राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) की हिरासत में भेज दिया गया। यह कदम भारत के उन जख्मों पर मरहम लगाने की ओर है, जो पाकिस्तान प्रायोजित इस्लामी आतंकवाद ने देश को दिए थे।
पाकिस्तानी मूल के कनाडाई नागरिक तहव्वुर राणा को पटियाला हाउस कोर्ट में पेश किया गया, जहां स्पेशल जज चंदर जीत सिंह ने उसे 18 दिनों की हिरासत में भेजा। इस दौरान राणा को दिल्ली के सीजीओ कॉम्प्लेक्स स्थित एनआईए मुख्यालय की उच्च सुरक्षा वाली कोठरी में रखा जाएगा।
26/11, भारत के इतिहास का एक काला दिन, जब 10 पाकिस्तानी आतंकवादी समुद्र मार्ग से मुंबई पहुंचे और तीन दिन तक निर्दोष नागरिकों पर कहर बरपाया। 166 लोगों की हत्या और 238 से अधिक घायल हुए। इस नृशंस कांड के पीछे जो चेहरे थे, उनमें से एक राणा, अब भारत के सामने है।
राणा, आतंकवादी डेविड हेडली का करीबी और साजिश का जानकार, ISI और पाकिस्तानी आतंक संगठनों लश्कर-ए-तैयबा और हरकत-उल-जिहादी इस्लामी (HUJI) के साथ मिलकर भारत को लहूलुहान करने की इस साजिश में शामिल था।
NIA के अनुसार, राणा ने हमले की योजना में सक्रिय भूमिका निभाई और हेडली के साथ मिलकर ऑपरेशन की पूरी रणनीति पर चर्चा की। हेडली ने उसे कई ईमेल भेजे, जिनमें आतंकियों की पहचान, लोकेशन और साजिश की पूरी जानकारी दी गई थी।
राणा को भारत लाना केवल एक कानूनी कदम नहीं, बल्कि हर उस भारतीय की भावना का प्रतिनिधित्व है जो न्याय चाहता है। यह उन मासूमों के लिए न्याय की ओर बढ़ता कदम है, जिनकी जानें धर्म के नाम पर नफरत फैलाने वाले आतंकवादियों ने लीं।
अब NIA राणा से कठोर पूछताछ करेगी, ताकि इस गहरे षड्यंत्र की परतें खोली जा सकें और पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद के असली चेहरे को दुनिया के सामने लाया जा सके।